आम लोगों को सस्ती दाल उपलब्ध कराने के लिए मोदी सरकार ने उठाया ये बड़ा कदम
Pulses Latest News: आवश्यक वस्तु अधिनियम (ईसी अधिनियम), 1955 का उद्देश्य आम लोगों को उचित मूल्य पर आवश्यक वस्तुओं की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करना है.
highlights
- राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से भी साप्ताहिक आधार पर दालों की कीमतों की निगरानी करने का अनुरोध किया गया था
- बफर स्टॉक मूल्य अस्थिरता को कम करने में मदद करता है और इस तरह से उपभोक्ताओं की कठिनाइयां कम होती है
नई दिल्ली:
Pulses Latest News: उपभोक्ता मामले के विभाग ने मिलों, आयातकों, व्यापारियों आदि जैसे स्टॉकहोल्डर्स से दालों के स्टॉक की जानकारी लेने को लेकर, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा की गई कार्रवाई की समीक्षा की है. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई बैठक में उपभोक्ता मामले विभाग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की सचिव लीना नंदन ने देश भर में दालों की उपलब्धता और कीमत की स्थिति की समीक्षा राज्य और संघ राज्यों क्षेत्रों के खाद्य विभाग, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले के प्रमुख सचिवों के साथ की. बैठक में भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और कृषि मंत्रालय के सचिव भी मौजूद थे.
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बैठक के दौरान, इस बात पर जोर दिया गया कि आवश्यक वस्तु अधिनियम (ईसी अधिनियम), 1955 का उद्देश्य आम लोगों को उचित मूल्य पर आवश्यक वस्तुओं की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करना है. उस बैठक में शामिल लोगों का कहना था कि दालों की कीमतों में आई अचानक तेजी का कारण संबंधित लोगों का दालों की जमाखोरी करना हो सकता है. आवश्यक वस्तु अधिनियम (ईसी अधिनियम), 1955 की धारा 3 (2) (एच) और 3 (2) (आई) आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन, आपूर्ति या वितरण में शामिल व्यक्तियों से सूचना या आंकड़े एकत्र करने के लिए आदेश जारी करने का प्रावधान करता है. साथ ही आवश्यक वस्तुओं का व्यापार करने वाले व्यक्ति को इससे संबंधित बुक, खातों और रिकॉर्ड को न केवल मेंटेन करना होता है बल्कि जरूरत पर उसे निरीक्षण के लिए प्रस्तुत भी करना होता है. दिनांक 09.06.1978 द्वारा केंद्रीय आदेश जीएसआर 800 की इस धारा के तहत राज्य सरकारों को ऐसा करने के लिए शक्तियां दी गई हैं.
साप्ताहिक आधार पर दालों की कीमतों की निगरानी करने का किया गया था अनुरोध
इसी आधार पर उपभोक्ता मामलों के विभाग ने 14 मई, 2021 के पत्र के जरिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों से ईसी अधिनियम, 1955 की धारा 3(2)(एच) और 3(2) (आई) के तहत शक्ति का उपयोग करने और सभी स्टॉकहोल्डर्स को निर्देश देने का अनुरोध किया. दालों के स्टॉक की घोषणा करने के लिए मिलों, व्यापारियों, आयातकों आदि द्वारा दी गई जानकारी को राज्य / केंद्रशासित प्रदेश सरकारों द्वारा भी सत्यापित किया जा सकता है. राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से भी साप्ताहिक आधार पर दालों की कीमतों की निगरानी करने का अनुरोध किया गया था. इसके तहत मिलों, थोक विक्रेताओं, आयातकों आदि द्वारा रखे गए दालों के स्टॉक का विवरण भरने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ एक ऑनलाइन डेटाशीट भी साझा की गई थी.
खरीद की सुविधा बढ़ाने के लिए किया गया था अनुरोध
दलहन उत्पादक राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों से भी खरीद की सुविधा बढ़ाने के लिए अनुरोध किया गया था, क्योंकि लगातार खरीद से किसानों को लंबी अवधि के आधार पर दलहन की खेती करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा. दालों के बफर का रखरखाव उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) के तहत किसानों से खरीदी गई दालों से किया जाता है. बफर खरीद प्रक्रिया जहां एक तरफ एमएसपी पर दाल खरीदकर किसानों का सहयोग करती है, वही बफर स्टॉक मूल्य अस्थिरता को कम करने में मदद करता है और इस तरह से उपभोक्ताओं की कठिनाइयां कम होती है. राज्यों को न्यूनतम लागत पर स्टॉक की आपूर्ति सुनिश्चित करने और उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर दालें उपलब्ध कराने के लिए खरीदी गई दालों को स्थानीय रूप से संग्रहीत किया जा रहा है.
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राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों से सभी 22 आवश्यक वस्तुओं, विशेष रूप से दालों, तिलहन, सब्जियों और दूध की कीमतों की निगरानी करने और किसी भी असामान्य मूल्य वृद्धि के शुरुआती संकेतों पर नजर रखने का अनुरोध किया गया था, जिससे सही समय पर कीमतों को लेकर हस्तक्षेप किया जा सके और इन खाद्य पदार्थों को सस्ते दामों पर सही समय पर उपलब्ध कराया जा सके. राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को तुअर/अरहर, मूंग और उड़द की आयात नीति में संशोधन के संबंध में वाणिज्य विभाग द्वारा जारी अधिसूचना दिनांक 15 मई, 2021 से भी अवगत कराया गया है. इसके तहत इन दालों को तत्काल प्रभाव से "प्रतिबंधित" से "नि:शुल्क" श्रेणी में 31 अक्टूबर, 2021 तक के लिए डाल दिया गया है. इस लचीली नीति से दालों का निर्बाध और समय पर आयात हो सकेगा। इसके लिए सभी जरूरी अनुमोदन जैसे फाइटो-सैनिटरी क्लीयरेंस और कस्टम क्लीयरेंस जैसी सभी नियामक मंजूरी समय पर जारी हो रहे हैं. इन मुद्दों पर भी खाद्य, उपभोक्ता मामले, कृषि, सीमा शुल्क और वाणिज्य विभागों की बैठक में आज चर्चा की गई. -इनपुट पीआईबी
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