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कपास की MSP में बढ़ोतरी स्थायी समाधान नहीं, दक्षिणी भारत मिल्स एसोसिएशन का बयान

दक्षिणी भारत मिल्स एसोसिएशन (The Southern India Mills Association-SIMA) ने कहा है कि सरकार को कपास के लिए प्रौद्योगिकी मिशन (Technology Mission on Cotton-TMC) वापस लाना चाहिए.

Updated on: 03 Jun 2020, 09:52 AM

कोयंबटूर:

दक्षिणी भारत मिल्स एसोसिएशन (The Southern India Mills Association-SIMA) ने कहा है कि कपास (Cotton) के एमएसपी (MSP) में वृद्धि से कपास किसानों को लाभा पहुचेगा लेकिन यह पूरे उद्योग की दृष्टि से कोई स्वस्थ तरीका नहीं है. एसआईएमए ने कहा है कि सरकार को कपास के लिए प्रौद्योगिकी मिशन (Technology Mission on Cotton-TMC) वापस लाना चाहिए. सोमवार को मध्यम रेशे वाले वाले कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,255 रुपये से 4.75 प्रतिशत बढ़ाकर 5,515 रुपये प्रति क्विंटल और लंबे स्टेपल रेशे वाले कपास का एमएसपी 5,502 रुपये से 4.95 प्रतिशत बढ़ाकर 5,825 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है.

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अपनी प्रतिक्रिया में एसआईएमए के अध्यक्ष, अश्विन चंद्रन (Ashwin Chandran) ने कहा कि हालांकि एमएसपी में वृद्धि से किसानों को लाभ होगा, लेकिन यह एक स्थायी समाधान नहीं है और सरकार को संशोधित प्रारूप में टीएमसी को वापस लाना चाहिए. उन्होंने उत्पादकता बढ़ाने के लिए, जो अन्य प्रमुख कपास उत्पादक देशों की तुलना में आधा है, सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं को अपनाकर प्रदूषण को कम कर कपास की गुणवत्ता में सुधार करना होगा.

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उन्होंने एक बयान में कहा कि कपास के मौजूदा बाजार मूल्य और कोविड-19 के कारण स्टॉक में वृद्धि होने के साथ, सरकार को आगामी कपास सत्र में खरीद के लिए भारी धनराशि आवंटित करने की आवश्यकता होगी, क्योंकि उत्पादन घरेलू आवश्यकता से कम से कम 25 प्रतिशत अधिक होगा. इसके अलावा चालू सत्र का 125 से 150 लाख गांठ का बचा हुआ स्टॉक भी होगा.