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महंगे अनाज से मिलेगी आम आदमी को राहत, IGC ने जारी किया अनाज उत्पादन का अनुमान

इंटरनेशनल ग्रेंस काउंसिल (International Grains Council-IGC) के ताजा अनुमान के अनुसार अनाजों का वैश्विक उत्पादन वर्ष 2021-22 में 2.28 अरब टन से ज्यादा रह सकता है, हालांकि खपत में भी इजाफा होने की संभावना है.

Updated on: 30 Mar 2021, 01:39 PM

highlights

  • अनाजों का वैश्विक उत्पादन वर्ष 2021-22 में 2.28 अरब टन से ज्यादा रह सकता है: IGC
  • फ्रांस में गेहूं का उत्पादन पिछले सीजन के 304 लाख टन से बढ़कर 373 लाख टन रह सकता है

नई दिल्ली:

दुनियाभर में इस साल अनाजों का रिकॉर्ड उत्पादन होने की संभावना है, जिससे कोरोना काल में कृषि उत्पादों की महंगाई पर लगाम लगेगी. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गेहूं, चावल, मक्का समेत कई अन्य एग्री कमोडिटी की कीमतों में नरमी आई है. भारत में भी इस साल खाद्यान्नों का रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान है. इंटरनेशनल ग्रेंस काउंसिल (International Grains Council-IGC) के ताजा अनुमान के अनुसार अनाजों का वैश्विक उत्पादन वर्ष 2021-22 में 2.28 अरब टन से ज्यादा रह सकता है, हालांकि खपत में भी इजाफा होने की संभावना है, इसलिए आपूर्ति बढ़ने के बावजूद कैरीफॉर्वर्ड स्टॉक का कोई दबाव नहीं होगा. आईजीसी के अनुमान के अनुसार, गेहूं का वैश्विक उत्पादन पिछले सीजन के 77.4 करोड़ टन से बढ़कर इस साल 79 करोड़ टन तक जा सकता है. 

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फ्रांस में गेहूं का उत्पादन बढ़कर 373 लाख टन होने का अनुमान
गेहूं के प्रमुख निर्यातकों में शुमार फ्रांस में गेहूं का उत्पादन पिछले सीजन के 304 लाख टन से बढ़कर 373 लाख टन रह सकता है जबकि अर्जेंटीना में 172 लाख टन से बढ़कर 203 लाख टन हो सकता है. हालांकि रूस में गेहूं का उत्पादन 854 लाख टन से घटकर 769 लाख टन रह सकता है. आईजीसी के अनुमान के अनुसार, मक्के का वैश्विक उत्पादन पिछले सीजन के 113.9 करोड़ टन से बढ़कर 119.3 करोड़ टन रह सकता है. अमेरिका में मक्के का उत्पादन पिछले सीजन के 36.03 करोड़ टन से बढ़कर 38.4 करोड़ टन रहने का अनुमान है. आईजीसी के अनुसार, सोयाबीन का वैश्विक उत्पादन 2021-22 में 38.3 करोड़ टन रह सकता है जोकि पिछले साल के 36.1 करोड़ टन से ज्यादा है.

कृषि विशेषज्ञ विजय सरदाना ने कहा कि भारत अनाजों का आयात नहीं करता है इसलिए वैश्विक उत्पादन रिकॉर्ड होने से कीमतों पर दबाव रहने के बावजूद भारत में इसका असर नहीं होगा, लेकिन तिलहनों का वैश्विक उत्पादन बढ़ने से भारत में खाने का तेल सस्ता हो सकता है क्योंकि भारत खाद्य तेल के मामले में आयात पर निर्भर करता है. आईजीसी के अनुसार चावल का वैश्विक उत्पादन पिछले सीजन के 50.4 करोड़ टन से बढ़कर 2021-22 में 51 करोड़ टन रह सकता है. भारत दुनिया में चावल का प्रमुख उत्पादक व निर्यातक है और कोरोना काल में देश से चावल के निर्यात में जोरदार इजाफा हुआ है. दुनिया के चावल बाजार के जानकार बताते हैं कि बीते दिनों कंटेनर की कमी के कारण निर्यात पर थोड़ा असर पड़ा था, लेकिन भारतीय चावल की मांग अंतर्राष्ट्रीय बाजार में लगातार बनी हुई है.

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आईजीसी के अनुसार, अनाजों के वैश्विक उत्पादन में इजाफा होने के साथ-साथ खपत में वृद्धि होने से सीजन के आखिर में अनाजों का वैश्विक बचा हुआ स्टॉक 60.9 करोड़ टन रह सकता है. भारत सरकार द्वारा बीते महीने फरवरी में जारी फसल वर्ष 2020-21 के दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार देश में अनाजों का रिकॉर्ड उत्पादन 30.33 करोड़ टन रह सकता है जिसमें चावल का उत्पादन 12.03 करोड़ टन और गेहूं का उत्पादन 10.92 करोड़ टन का आकलन किया गया है.