कॉटन का निर्यात (Cotton Export) (Photo Credit: IANS)
नई दिल्ली:
Coronavirus (Covid-19): कोरोना कॉल में जब देश की आर्थिक गतिविधियां चरमराई हुई हैं, तब भारतीय कॉटन (Cotton) दुनिया के प्रमुख कॉटन आयातक देशों के लिए पसंदीदा बन गया है. इस महीने देश से तकरीबन पांच लाख गांठ (एक गांठ में 170 किलो) कॉटन का निर्यात (Cotton Export) हो चुका है. कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Cotton Association Of India-CAI) के अध्यक्ष अतुल गणत्रा ने बताया कि भारतीय कॉटन इस समय दुनिया में सबसे सस्ता है, इसलिए निर्यात मांग बढ़ गई है.
यह भी पढ़ें: तिलहन किसानों को बचाने के लिए इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने की मांग, जानिए आज क्या रहे तिलहन के भाव
कॉटन एक्सपोर्ट का अनुमान पांच लाख गांठ बढ़ाकर 47 लाख गांठ किया
यही वहज है कि कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने अपने हालिया मासिक आकलन में चालू कॉटन वर्ष 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) में कॉटन निर्यात का अनुमान पांच लाख गांठ बढ़ाकर 47 लाख गांठ कर दिया है. इससे पहले चालू कॉटन सीजन में 42 लाख गांठ निर्यात का अनुमान लगाया गया था. गणत्रा ने बताया कि इस समय बांग्लादेश सबसे बड़ा खरीदार है, उसके बाद चीन और वियतनाम है. उन्होंने बताया कि मई महीने में अब तक बांग्लादेश ने करीब दो लाख गांठ, जबकि चीन ने करीब एक लाख गांठ कॉटन खरीदा है और वियतनाम को भी तकरीबन एक लाख गांठ निर्यात हुआ है. वहीं, चालू सीजन में 31 मई तक 37-38 लाख गांठ निर्यात होने की उम्मीद है, जबकि जून तक 40 लाख गांठ कॉटन देश के बाहर जा सकता है. बाकी आखिरी तीन महीने में निर्यात होगा.
रुपया डॉलर के मुकाबले तकरीबन 10 फीसदी कमजोर
उन्होंने बताया कि भारतीय कॉटन इस समय दुनिया में सबसे सस्ता है, इसकी वजह है कि बीते करीब दो महीने में देसी करेंसी रुपया डॉलर के मुकाबले तकरीबन 10 फीसदी कमजोर हुआ है. रुपये में आई कमजोरी से निर्यात को प्रोत्साहन मिला है. सीएआई के अध्यक्ष ने बताया कि कोटलुक का भाव 22 मई को भारतीय करेंसी के मूल्य में करीब 40,073 रुपये प्रति कैंडी था, जबकि भारत में कॉटन 36,000-36,500 रुपये प्रति कैंडी के दायरे में था. वहीं, सेंट प्रति पौंड में देखें तो कोटलुक का भाव 66-70 सेंट प्रति पौंड के करीब चल रहा है, जबकि भारतीय कॉटन का भाव 58-61 सेंट प्रति पौंड चल रहा है.
वर्धमान टेक्सटाइल्स के वाइस प्रेसीडेंट ललित महाजन ने भी बताया कि भारतीय कॉटन दुनिया में सबसे सस्ता होने के कारण सबके लिए पसंदीदा बन गया है. उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कॉटन के भाव के मुकाबले भारत में कॉटन करीब छह सेंट प्रति पौंड नीचे चल रहा है, जिसके कारण चीन के लिए भी भारत से कॉटन खरीदना सस्ता होगा. कॉटन बाजार के जानकार मुंबई के गिरीश काबरा ने बताया कि अंतर्राष्ट्ररीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में तेजी आने से कॉटन यार्न की मांग निकल सकती है, क्योंकि पेट्रोलिय उत्पाद महंगा होने से सिंथेटिक धागा महंगा होगा। कॉटन यार्न की मांग निकलने से घरेलू मिलों के काम-काज में तेजी आएगी.
यह भी पढ़ें: Coronavirus (Covid-19): मक्के का रिकॉर्ड उत्पादन, भाव बेहद कम, किसान जाएं तो जाएं कहां
कोरोनावायरस संक्रमण (Coronavirus Epidemic) की रोकथाम को लेकर जारी देशव्यापी लॉकडाउन (Coronavirus Lockdown 4.0) में ढील देने के बाद घरेलू मिलों में भी धीरे-धीरे काम पटरी पर लौटने लगा है. सीएआई के अनुसार, कॉटन का उत्पादन इस साल 330 लाख गांठ रह सकता है. उद्योग संगठन ने हालिया मासिक आकलन में उत्पादन अनुमान 354.50 लाख गांठ से घटाकर 330 लाख गांठ कर दिया है.