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मक्का (Maize)( Photo Credit : फाइल फोटो)
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मक्का (Maize)( Photo Credit : फाइल फोटो)
Coronavirus (Covid-19): केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान (Ram Vilas Paswan)ने कहा है कि किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर मक्का (Maize) खरीदने पर सरकार विचार कर रही है. केंद्रीय मंत्री मोदी सरकार (Modi Government) के दूसरे कार्यकाल में एक साल की अवधि पूरी होने पर उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की उपलब्धियों को लेकर यहां वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे. देश में इस साल मक्के का रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान है और रबी सीजन में मक्के का उत्पादन करने वाला राज्य बिहार में इस समय किसानों को औने-पौने दाम पर मक्का बेचना पड़ रहा है.
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सरकार ने खरीफ सीजन के मक्के के लिए 1,760 रुपये प्रति क्विंटल MSP तय किया
केंद्र सरकार ने फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) के खरीफ सीजन के मक्के के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1760 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. मगर, इस समय बिहार में किसानों को 1100-1200 रुपए प्रति क्विंटल से ज्यादा मक्के का भाव नहीं मिल रहा है. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी तीसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार देश में 2019-20 में मक्के का रिकॉर्ड 289.8 लाख टन उत्पादन होने की उम्मीद है. बता दें कि कोरोनावायरस संक्रमण (Coronavirus Epidemic) से पोल्टरी इंडस्ट्री के प्रभावित होने से पोल्टरी फीड में मक्के की मांग घट गई है लिहाजा किसानों को उनकी फसल का उचित भाव नहीं मिल रहा है.
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बता दें कि कोरोना काल में किसानों को मक्के (Maize Price) का वाजिब दाम मिलना मुहाल हो गया है. वजह, मक्के की औद्योगिक मांग नदारद है, जबकि उत्पादन (Record Maize Production) में नया रिकॉर्ड बना है. मक्का ही नहीं, गेहूं (Wheat), चावल समेत मोटे अनाजों के उत्पादन में भी इस साल नया कीर्तिमान बनने का अनुमान है. ऐसे में मांग निकलने की भी कोई गुंजाइश नहीं है. देश में बिहार एक ऐसा सूबा है, जहां साल के तीनों सीजन-खरीफ, रबी और जायद के दौरान मक्के की खेती होती है, लेकिन प्रदेश में मक्के की सबसे ज्यादा पैदावार रबी सीजन में होती है. बिहार में कोसी की कछारी मिट्टी मक्के की पैदावार के लिए काफी उर्वर है और पिछले साल ऊंचा भाव मिलने से किसानों ने मक्के की खेती में इस साल काफी दिलचस्पी ली थी, लेकिन किसानों को पिछले साल के मुकाबले आधे दाम पर इस बार मक्का बेचना पड़ रहा है.