logo-image

चीनी इंडस्ट्री को बड़ा झटका, 20 लाख टन नहीं बिक पाई चीनी

एनएफसीएसएफ के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने बताया कि गर्मी का मौसम शुरू होने से पहले आइस्क्रीम, सॉफ्ट ड्रिंक व अन्य शीतल पेय पदार्थों के लिए चीनी की मांग हर साल बढ़ जाती है, लेकिन इस साल मांग ठंडी पड़ गई.

Updated on: 22 Jun 2020, 08:52 AM

नई दिल्ली:

देश के विभिन्न हिस्सों में होटल, कैंटीन, ढाबा, रेस्तरां खुलने से चीनी (Sugar Price Today) की मांग में भी धीरे-धीरे बढ़ोतरी होने लगी है, जिससे नकदी के संकट से जूझ रही चीनी मिलों (Sugar Mill) की आर्थिक सेहत सुधरने की उम्मीद जगी, लेकिन कोरोना ने चालू सीजन में 20 लाख टन चीनी की खपत में चपत लगा दी है, जिसकी कसक उद्योग को बनी हुई है.

यह भी पढ़ें: Gold Rate Today: आज बढ़ सकते हैं सोने-चांदी के भाव, जानिए जानकारों की बेहतरीन ट्रेडिंग टिप्स 

कोरोनावायरस (Coronavirus) के प्रसार पर लगाम लगाने के मकसद से केंद्र सरकार ने जब 25 मार्च से देश में पूर्ण बंदी की घोषणा की थी, उस समय भी देश की तमाम चीनी मिलें चल रही थीं और उत्पादन, आपूर्ति व विपणन कार्य पर कोई रोक नहीं थी, लेकिन होटल, रेस्तरां, कैंटीन, मॉल, सिनेमा हॉल आदि के बंद होने से आइस्क्रीम और सॉफ्ट ड्रिंक की बिक्री में भारी गिरावट आई, जिसका असर चीनी उद्योग (Sugar Industry) पर पड़ा.

यह भी पढ़ें: Petrol Diesel Rate Today: 16 दिन से महंगा हो रहा है पेट्रोल-डीजल, फटाफट चेक करें आज के रेट

लॉकडाउन के दौरान घरेलू मिलें करीब 20 लाख टन चीनी नहीं बेच पाईं
उद्योग संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज (एनएफसीएसएफ) के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने बताया कि गर्मी का मौसम शुरू होने से पहले आइस्क्रीम, सॉफ्ट ड्रिंक व अन्य शीतल पेय पदार्थों के लिए चीनी की मांग हर साल बढ़ जाती है, लेकिन इस साल चीनी की गर्मी की वह मांग ठंडी पड़ गई और लॉकडाउन के दौरान घरेलू मिलें करीब 20 लाख टन चीनी नहीं बेच पाईं. मतलब कोरोना ने चीनी की 20 लाख टन की खपत में चपत लगा दी. हालांकि उन्होंने कहा कि जून में धीरे-धीरे चीनी की मांग जोर पकड़ रही है, जिससे कीमतों में भी सुधार हुआ है, जिससे नकदी के संकट से जूझ रही चीनी मिलों की वित्तीय सेहत में आने वाले दिनों में थोड़ा सुधार होगा और किसानों के बकाये का भुगतान करने के साथ-साथ मिलों के कर्मचारियों का रूका वेतन देने में सहूलियत मिलेगी.

यह भी पढ़ें: 11 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा मार्केट कैप वाली पहली भारतीय कंपनी बनी रिलायंस इंडस्ट्रीज

क्या कोरोना महामारी का प्रकोप छाने के पूर्व चीनी की जो मांग थी, क्या उस स्तर पर जून में बिक्री होने लगी है. इस सवाल पर नाइकनवरे ने कहा कि हम यह नहीं कह सकते हैं कि प्री.कोविड स्टेज पर जो मांग थी उस स्तर पर अभी मांग है. असल में पाइपलाइन खाली थी इसलिए मांग बढ़ी है, लेकिन मार्च में लॉकडाउन होने से पहले के स्तर पर मांग नहीं निकली है. लॉकडाउन होने के बाद मार्च, अप्रैल और मई के दौरान आइस्क्रीम, सॉफ्ट ड्रिंक, चॉकलेट, कैंटीन, रेस्तरां, शादियां आदि की जो मांग थी वह तकरीबन 20 लाख टन नहीं निकल पाई.

यह भी पढ़ें: मॉनसून बेहतर रहने से खरीफ बुवाई ने जोर पकड़ा, 781 फीसदी बढ़ा तिलहन का रकबा 

सरकार ने चीनी मिलों के लिए मार्च में 21 लाख टन अप्रैल में 18 लाख टन और मई में 17 लाख टन चीनी बेचने का कोटा तय किया जो संबंधित महीने में नहीं बिकने के कारण अगले क्रमश: अगले महीने में कोटे को बढ़ा दिया गया. दिल्ली के चीनी कारोबारी सुशील कुमार ने भी बताया कि लॉकडाउन खुलने के बाद चीनी की मांग थोड़ी बढ़ी है, लेकिन अभी मांग पूरी तरह से जोर नहीं पकड़ पाई है. नाइकनवरे ने बताया कि चीनी के एक्स.मिल रेट में पिछले कुछ दिनों में एक रूपया प्रति किलो का इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि नकदी की समस्या दूर होने पर किसानों के बकाये का भुगतान करने में भी मदद मिलेगी.

यह भी पढ़ें: चावल बाजार के लिए बड़ी खबर, MP के बासमती चावल को जीआई टैग दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील 

देशभर में गन्ना उत्पादक किसानों का चीनी मिलों पर बीते सप्ताह तक करीब 22500 करोड़ बकाया था. नाइकनवरे ने बताया कि इसमें सबसे ज्यादा 17000 करोड़ रुपये का बकाया उत्तर प्रदेश के गन्ना उत्पादकों का था. चालू शुगर सीजन 2019-20 अक्टूबर-सितंबर में चीनी का उत्पादन बंद हो गया है. उद्योग संगठन के अनुसार, देश में इस साल चीनी का उत्पादन करीब 272 लाख टन है. बाजार सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, देश की राजधानी दिल्ली में चीनी का थोक भाव शनिवार को 3560.3620 रुपये प्रतिक्विंटल था. दिल्ली में चीनी की आपूर्ति उत्तर प्रदेश मिलों से आती है. उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों का एक्स.मिल रेट शनिवार को 3340-3380 रुपये प्रतिक्विंटल था.