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मॉनसून बेहतर रहने से खरीफ बुवाई ने जोर पकड़ा, 781 फीसदी बढ़ा तिलहन का रकबा

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी खरीफ फसलों की बुवाई के आंकड़ों के अनुसार, देशभर में इस साल खरीफ फसलों की बुवाई पिछले साल के मुकाबले 39 फीसदी से ज्यादा हो गई है.

Updated on: 20 Jun 2020, 01:52 PM

नई दिल्ली:

देशभर में मानसूनी बारिश जोर पकड़ने के साथ खरीफ फसलों (Kharif Crop) की बुवाई भी तेज हो गई है. देशभर में एक जून के बाद औसत से 31 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है, जिससे खरीफ फसलों का रकबा पिछले साल से करीब 39 फीसदी बढ़ गया है. खासतौर से तिलहनों की बुवाई का क्षेत्र पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले करीब 781 फीसदी बढ़ गया है. तिलहन फसलों में मूंगफली और सोयाबीन की खेती में किसानों ने ज्यादा दिलचस्पी दिखाई है. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी खरीफ फसलों की बुवाई के आंकड़ों के अनुसार, देशभर में इस साल खरीफ फसलों की बुवाई पिछले साल के मुकाबले 39 फीसदी से ज्यादा हो गई है.

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देशभर में आमतौर पर 15 जून से शुरू होती है धान की रोपाई
कृषि मंत्रालय ने फसल वर्ष 2020-21 (जुलाई-जून) के खरीफ सीजन की फसलों की बुवाई के अब तक के आंकड़े जारी किए हैं. देशभर में धान की रोपाई आमतौर पर 15 जून से शुरू होती है और इस साल अब तक महज 10.05 लाख हेक्टेयर में धान की फसल लगी है जो पिछले साल के 10.28 लाख हेक्टेयर से कम ही है. हालांकि दलहनों का रकबा पिछले साल के 2.22 लाख हेक्टेयर से दोगुना से ज्यादा यानी 4.58 लाख हेक्टेयर हो गया. कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि धान, दलहन, तिलहन और मोटे अनाज की बुवाई का सीजन अभी शुरू ही हुई है, लेकिन मानसूनी बारिश जोर पकड़ने से उनकी उम्मीद बढ़ गई है.

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खरीफ फसलों का कुल रकबा 131.34 लाख हेक्टेयर हुआ
खरीफ फसलों का कुल रकबा 131.34 लाख हेक्टेयर हो गया है जबकि पिछले साल की इसी अवधि के दौरान खरीफ फसलों का रकबा 94.23 लाख हेक्टेयर था. इस प्रकार पिछले साल के मुकाबले इस साल खरीफ फसलों का रकबा 37.11 लाख हेक्टेयर यानी 39.38 फीसदी अधिक है. उत्तर भारत के पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के कुछ सिंचित इलाके में कपास की बुवाई मानसून के आगमन से पहले ही शुरू हो जाती है और इस साल उत्तर भारत के किसानों ने कपास की खेती में काफी दिलचस्पी दिखाई है. यही वजह है कि कपास का रकबा इस साल अब तक 28.77 लाख हेक्टेयर हो गया है जोकि पिछले साल की समान अवधि से 10.59 लाख हेक्टेयर यानी 58.25 फीसदी ज्यादा है.

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मोटे अनाजों का रकबा करीब 19.16 लाख हेक्टेयर क्षेत्र हो गया है जबकि पिछले साल इसी अवधि में 7.83 लाख हेक्टेयर था. इसी प्रकार, तिलहन फसलों का रकबा करीब 14.36 लाख हेक्टेयर हो गया है जोकि पिछले साल की इसी अवधि के दौरान 1.63 लाख हेक्टेयर था. इस प्रकार तिलहन फसलों का रकबा पिछले साल से 781फीसदी बढ़ गया है. मूंगफली का रकबा पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 9.50 लाख हेक्टेयर बढ़कर 10.12 लाख हेक्टेयर हो गया है. वहीं, सोयाबीन की बुवाई अब तक 3.52 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 2.99 लाख हेक्टेयर अधिक है.

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गन्ने की फसल किसानों ने करीब 48.63 लाख हेक्टेयर में लगाया है जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में गन्ने का रकबा 48.01 लाख हेक्टेयर था. जूट और मेस्टा की बुवाई करीब 5.78 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 6.08 लाख हेक्टेयर में हुई थी. मानसून ने इस साल समय एक जून को दक्षिणी भारत के राज्य केरल के तट पर दस्तक दिया और बीते 18 दिनों में देश में औसत से 31 फीसदी ज्यादा बारिश हुई. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, 18 जून तक देशभर में 108.3 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि इस दौरान औसत बारिश 82.4 मिलीमीटर बारिश होती है. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) के तीसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान में खाद्यान्नों का रिकॉर्ड 29.56 करोड़ टन उत्पादन का आकलन किया है और सरकार ने अगले साल 2020-21 के लिए 29.8 करोड़ टन उत्पादन का लक्ष्य रखा है.