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मोरेटोरियम पीरियड के दौरान ब्याज माफी को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई शुरू

याचिकाकर्ताओं के वकील राजीब दत्ता (Rajib Dutta) ने कोर्ट में तर्क दिया है कि ब्याज पर ब्याज लेना गलत है और बैंक इसे चार्ज नहीं कर सकते हैं.

Updated on: 02 Sep 2020, 12:57 PM

नई दिल्ली :

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) में आज लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) पीरियड के दौरान ब्याज माफी को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हो चुकी है. याचिकाकर्ताओं के वकील राजीब दत्ता (Rajib Dutta) ने कोर्ट में तर्क दिया है कि ब्याज पर ब्याज लेना गलत है और बैंक इसे चार्ज नहीं कर सकते हैं. वहीं CREDAI की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आर्यमन सुंदरम (Aryaman Sundaram) का कहना है कि लंबे समय तक उधारकर्ताओं पर दंडात्मक ब्याज वसूलना अनुचित है, इससे एनपीए बढ़ सकता है.

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बता दें कि मंगलवार को हुई सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से आग्रह किया था कि नए हलफनामे को देखने के बाद सुनवाई हो. बता दें कि पिछली बार SC ने मोरेटोरियम अवधि के दौरान टाली गई EMI पर ब्याज न लेने की मांग पर कोई स्टैंड न लेने के चलते सरकार की खिंचाई की थी. कोर्ट ने कहा था कि सरकार लोगों की तकलीफ को दरकिनार कर सिर्फ व्यापारिक नज़रिए से नहीं सोच सकती.

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बता दें कि कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए सरकार के द्वारा लगाए गए लॉकडाउन के बाद RBI ने 3 महीने के लिए मोरेटोरियम की घोषणा की थी. हालांकि आरबीआई ने बाद में इस अवधि को 3 महीने के लिए बढ़ा दिया था. याचिकाकर्ता की कोर्ट में दलील है कि कोरोना महामारी की वजह से उत्पन्न हुए आर्थिक हालात को देखते हुए मोरेटोरियम की सुविधा का ऐलान किया गया था और मौजूदा समय में भी आर्थिक स्थिति खराब ही है. ऐसे में मोरोटोरियम की सुविधा को दिसंबर 2020 तक बढ़ाया जाए.

31 अगस्त 2020 को समाप्त हो गई मोरेटोरियम की अवधि
गौरतलब है कि RBI द्वारा 6 महीने के लिए बढ़ाई गई लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) की अवधि 31 अगस्त 2020 को समाप्त हो गई है. बता दें कि कई बैंकर्स 31 अगस्त तक कर्ज चुकाने की मोहलत (Moratorium) को बढ़ाने के खिलाफ हैं. दरअसल, बैंकर्स का मानना है कि कर्ज की राशि जमा नहीं होने की वजह से फाइनेंशियल सिस्टम के ऊपर नकारात्मक असर पड़ेगा. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 26 अगस्त को हुई पिछली सुनवाई में मोरेटोरियम (Moratorium) मामले पर केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार की जमकर खिंचाई की थी. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने मोरेटोरियम अवधि के दौरान टाली गई EMI पर ब्याज नहीं लेने की मांग पर कोई स्टैंड न लेने के चलते सरकार की खिंचाई की थी. कोर्ट ने सरकार से 1 हफ्ते के भीतर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था.

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क्या है लोन मोरेटोरियम
दरअसल, लोन मोरेटोरियम के तहत आम आदमी को कर्ज की किस्त को टालने का विकल्प मिल रहा था. बता दें कि रिजर्व बैंक ने अगस्त की शुरुआत में कहा था कि आरबीआई लेंडर्स को लोन रिस्ट्रक्चरिंग (Loan Restructuring Scheme) की सुविधा देगा.