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सरकारी बैंकों के आएंगे अच्छे दिन, मोदी सरकार ने उठाए कई बड़े कदम

वित्तीय सेवा सचिव देवाशीष पांडा ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी और उसके बाद लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा है, लेकिन अब अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार के संकेत मिल रहे हैं.

Updated on: 26 Dec 2020, 09:04 AM

नई दिल्ली :

केंद्र की नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सरकार ने कोरोना वायरस (Coronavirus) से प्रभावित उद्योग (Industry) की मदद के लिए जो उपाय किए हैं उनसे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (Public Sector Banks-PSU Banks) को अगले साल झटके से बचने में मदद मिलेगी. वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही. इनमें ऋण पुनर्गठन भी शामिल है. वित्तीय सेवा सचिव देवाशीष पांडा ने कहा कि महामारी और उसके बाद लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा है, लेकिन अब अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार के संकेत मिल रहे हैं. 

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खुदरा, आवास और कृषि ऋण का प्रदर्शन अच्छा: देवाशीष पांडा
पांडा ने कहा कि ऋण की वृद्धि में सतत सुधार है. खुदरा, आवास और कृषि ऋण का प्रदर्शन भी अच्छा है. इसके अलावा सरकार की आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) और इसी तरह की अन्य योजनाओं के जरिये हस्तक्षेप से सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम (एमएसएमई) क्षेत्र की स्थिति भी सुधर रही है. पांडा ने कहा कि रिजर्व बैंक ने कोविड-19 समाधान योजना के जरिये पुनर्गठन की सुविधा उपलब्ध कराई है. इसके जरिये सभी प्रकार के ऋण का समाधान किया जाएगा. इसका प्रभाव उतना गंभीर नहीं होगा, जैसा पहले अनुमान लगाया गया था. हालांकि, इसको लेकर कोई आंकड़ा देना मुश्किल है. रिजर्व बैंक ने अगस्त में कॉरपोरेट और खुदरा ऋणों के एकबारगी पुनर्गठन की अनुमति दी थी. इन ऋणों को गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाएगा. 

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पुनर्गठन का लाभ वे खाते उठा सकते हैं, जो एक मार्च तक मानक खाते थे और जिनमें चूक 30 दिन से अधिक की नहीं थी. पांडा ने कहा कि ऐसे में हमारा अनुमान है कि अगले साल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को ऊंचे प्रावधान कवरेज अनुपात, एनपीए में लगातार कमी और एकबारगी ऋण पुनर्गठन की वजह से कोई बड़ा झटका लगेगा. उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट खंड में कर्ज की मांग कुछ कमजोर है. बैंक और सरकार कॉरपोरेट कर्ज की मांग में सुधार का प्रयास कर रहे हैं. अब ईसीएलजीएस का विस्तार अधिक दबाव वाले क्षेत्रों के लिए किया गया है. बैंकों ने एमएसएमई क्षेत्र के लिए तीन लाख करोड़ रुपये की आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत अब तक करीब 81 लाख खातों को 2,05,563 करोड़ रुपये का कर्ज मंजूर किया है. 

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अगले तीन माह के दौरान 25,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त जुटाएंगे: देवाशीष पांडा
चार दिसंबर तक इन खातों को 1,58,626 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं. सचिव ने कहा कि कोविड-19 से जुड़ी अनिश्चितता की वजह से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक इक्विटी और एटी1 और टियर-दो बांड के जरिये 40,000 करोड़ रुपये जुटा चुके हैं. अगले तीन माह के दौरान 25,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त जुटाए जाएंगे. इसके अलावा सरकार सितंबर में संसद में पारित पहली अनुदान की अनुपूरक मांगों के जरिये बैंकों के लिए 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी का आवंटन कर चुकी है. वित्त मंत्रालय ने इसमें से 5,500 करोड़ रुपये की पूंजी पंजाब एंड सिंध बैंक की नियामकीय जरूरतों को पूरा करने के लिए जारी की है. बैंकों की वित्तीय सेहत के बारे में पांडा ने कहा कि सितंबर तिमाही में 12 में 11 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने मुनाफा कमाया है. (इनपुट भाषा)