बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India) के ग्राहकों की सस्ती हो जाएगी होम, ऑटो और पर्सनल लोन की EMI, जानिए क्यों
भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank) ने पिछले हफ्ते अपनी मौद्रिक नीति पेश करते हुए रेपो दर को 0.40 प्रतिशत घटाकर 4.40 प्रतिशत से 4 प्रतिशत कर दिया था. RBI के फैसले के बाद बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India) ने यह कदम उठाया है.
नई दिल्ली:
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India-BOI) ने अपने सभी अवधि के ऋणों पर कोष की सीमांत लागत आधारित ऋण ब्याज दर (MCLR) को एक जून से 0.25 प्रतिशत घटाने की घोषणा की. बैंक ने एक विज्ञप्ति में कहा कि इसके बाद उसके एक साल की अवधि के ऋण पर सालाना ब्याज दर घटकर 7.70 प्रतिशत रह जाएगी. अभी यह 7.95 प्रतिशत है. इसी तरह छह महीने की अवधि वाले ऋण की ब्याज दर 7.60 प्रतिशत और मासिक ऋण की ब्याज दर 7.50 प्रतिशत होगी. बैंक ने कहा कि उसने रिजर्व बैंक के रेपो दर से जुड़े ऋणों की ब्याज दर भी 0.40 प्रतिशत घटाकर 6.85 प्रतिशत कर दी है. भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank-RBI) ने पिछले हफ्ते अपनी मौद्रिक नीति पेश करते हुए रेपो दर को 0.40 प्रतिशत घटाकर 4.40 प्रतिशत से 4 प्रतिशत कर दिया था.
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यूको बैंक ने ऋण ब्याज दर 0.40 प्रतिशत घटायी
सार्वजनिक क्षेत्र के यूको बैंक ने रिजर्व बैंक की रेपो दर से जुड़े अपने ऋणों की ब्याज दर शुक्रवार को 0.40 प्रतिशत घटा दिया था. बैंक ने एक बयान में कहा कि हमने रेपो दर आधारित ऋण ब्याज दर ‘यूको फ्लोट’ को 0.40 प्रतिशत घटा दिया है. यह 27 मई से 7.30 प्रतिशत की जगह 6.90 प्रतिशत हो गयी है. बैंक ने कहा कि इससे उसके लघु एवं मध्यम उद्योग ऋण और अन्य खुदरा ऋण सस्ते हो जाएंगे. बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले हफ्ते अपनी मौद्रिक नीति पेश करते हुए रेपो दर को 0.40 प्रतिशत घटाकर 4.40 से 4 प्रतिशत कर दिया था.
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सस्ता हो जाएगा होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन
बैंक ऑफ इंडिया के इस कदम के बाद ग्राहकों का होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन सस्ता हो जाएगा. गौरतलब है कि MCLR घटने से मौजूदा लोन सस्ते हो जाते हैं. ग्राहकों को पुरानी EMI के मुकाबले घटी हुई EMI देनी पड़ती है.
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MCLR क्या है - What is MCLR
MCLR को मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट भी कहते हैं. इसके तहत बैंक अपने फंड की लागत के हिसाब से लोन की दरें तय करते हैं. ये बेंचमार्क दर (Benchmark Rate) होती है. इसके बढ़ने से आपके बैंक से लिए गए सभी तरह के लोन महंगे हो जाते हैं. साथ ही MCLR घटने पर लोन की EMI सस्ती हो जाती है.
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