धन की सेफ्टी के लिए बैंक एफडी में ही करना है निवेश, तो FD Laddering से कमाएं ज्यादा मुनाफा

जब निवेश की बात आती है, तो आज भी ज्यादातर भारतीय अपनी मेहनत की कमाई को बैंक एफडी में रखना ही उचित समझते हैं. बैंक एफडी उन्हें निवेश के अन्य साधनों से ज्यादा सुरक्षित लगती है.

जब निवेश की बात आती है, तो आज भी ज्यादातर भारतीय अपनी मेहनत की कमाई को बैंक एफडी में रखना ही उचित समझते हैं. बैंक एफडी उन्हें निवेश के अन्य साधनों से ज्यादा सुरक्षित लगती है.

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Manoj Sharma
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Fixed Deposit Photograph: (Social Media)

जब निवेश की बात आती है, तो आज भी ज्यादातर भारतीय अपनी मेहनत की कमाई को बैंक एफडी में रखना ही उचित समझते हैं. बैंक एफडी उन्हें निवेश के अन्य साधनों से ज्यादा सुरक्षित लगती है. यह तो सच है कि निवेश के अन्य साधनों के मुकाबले बैंक एफडी ज्यादा सुरक्षित होती है. बैंक में जमा पांच लाख तक की धनराशि को बीमा सपोर्ट भी मिलता है और इसी वजह से पांच लाख रूपए तक की एफडी कराने वाले लोगों को अपनी धनराशि के डूब जाने का खतरा नहीं होता. जो लोग बैंक एफडी में ही अपना पैसा रखना चाहते हैं, वे एफडी लैडरिंग स्ट्रैटेजी अपना सकते हैं, जिससे वे एफडी पर मिलने वाले रिटर्न को ऑप्टिमाइज कर सकते हैं.

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क्या होती है एफडी लैडरिंग

एफडी लैंडरिंग का अर्थ होता है एफडी की सीढ़ी बनाना. इस स्ट्रैटेजी में व्यक्ति जितनी रकम का निवेश करना चाहता है, उसे एक साथ एक लंबी अवधि की एफडी में नहीं रखता. इसके बजाय वह उस रकम को कम अवधि की दो, तीन या ज्यादा भागों में एफडी में निवेश कर देता है. 

उदाहरण के लिए, मानो आपको एक लाख रूपए की एफडी करनी है, तो एफडी लैडरिंग में पूरी रकम को एक साथ पांच साल की एफडी में निवेश नहीं किया जाएगा. इसके बजाय 25-25 हजार की चार एफडी में इस तरह से निवेश किया जाएगा कि पहली एफडी एक साल में मैच्योर होगी, दूसरी एफडी दो साल में, तीसरी तीन साल में औऱ चौथी एफडी की परिपक्वता अवधि चार साल होगी.

अब हर साल एक एफडी मैच्योर होगी और बाजार में जिस बैंक की एफडी पर सबसे ज्यादा ब्याज मिल रहा हो, उसमें चार साल के लिए फिर से निवेश कर दिया जाएगा. अब निवेशक की कम से कम एक एफडी हर साल परिपक्व हो जाएगी और उसका बेहतर ब्याज दर वाली एफडी में निवेश करके वह अपना लाभ अधिकतम कर सकेगा.

एफडी लैडरिंग से निवेशकों को ब्याज दरों में बार-बार होने वाले बदलावों से नुकसान नहीं होगा, क्योंकि हर साल एक एफडी मैच्योर हो जाएगी और निवेशक उसे ज्यादा ब्याज दर वाली एफडी में फिर से निवेश कर सकता है. इस रणनीति से निवेशक का पैसा लंबी अवधि की एफडी की तरह कई साल के लिए ब्लॉक नहीं होता, बल्कि उसके पास ज्यादा liquidity रहती है. यदि बाजार में ब्याज दर गिर रही हों, तो भी निवेशक के पास यह अवसर रहता है कि जिस बैंक की ब्याज दर प्रचलित ब्याज दरों में अधिकतम हो, वह उसकी एफडी में अपनी रकम का निवेश कर दे.

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