नहीं रहे शशि कपूर, ' मेरे पास मां है' के अलावा जानिए उनके 7 बेहतरीन डायलॉग जिसने बदल दी किस्मत
शशि ने हिन्दी सिनेमा की 160 फिल्मों (148 हिंदी और 12 अंग्रेजी) में काम किया और इस दैरान एक से बढ़कर एक डायलॉग उनके लोगों के जुबान पर चढ़ गए।
नई दिल्ली:
हिन्दी सिनेमा के जाने माने एक्टर शशि कपूर का लंबी बीमारी के बाद 79 साल की उम्र में आज निधन हो गया। वह पिछले तीन हफ्ते से बीमार थे। मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में सोमवार शाम पांच बजकर 20 मिनट पर उन्होंने आखिरी सांस ली।
शशि कपूर तो चले गए लेकिन उनके फिल्मों में दिए गए कुछ ऐसे यादगार डायलॉग है जो उन्हें सदा अमर बनाए रखेंगे। शशि कपूर ने हिन्दी सिनेमा की 160 फिल्मों (148 हिंदी और 12 अंग्रेजी) में काम किया और इस दैरान उन्होंने एक से बढ़कर एक डायलॉग दिए जो सिनेमाघरों में पहले शो के बाद ही लोगों की जुबान पर चढ़ जाते थे।
आइए जानते हैं उनके फिल्मों के 7 ऐसे फेमस डायलॉग जो आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं।
फिल्म-दिवार
मेरे पास मां है।
फिल्म- नमक हलाल
ये प्रेम रोग है। शुरू में दुख देता है, बाद में बहुत दुख देता है।
फिल्म-कभी-कभी
इस दुनिया में आदमी इंसान बन जाए तो बड़ी बात है।
फिल्म-सिलसिला
हम गायब होने वालों में से नहीं हैं। जहां-जहां से गुजरते हैं जलवे दिखाते हैं।
फिल्म- रोटी, कपड़ा और मकान
यह मत सोचो की देश तुम्हें क्या देता है। यह सोचो कि देश को तुम क्या दे सकते हो।
फिल्म-शान
जुल्म और पाप का खेल तो हमेशा ज़ालिमों और पापियों के साथ ही खत्म होता है।
फिल्म-दिवार
यह दुनिया एक थर्ड क्लास का डिब्बा बन गया है। जगह कम है और मुसाफिर बहुत ज्यादा।
साल 2011 में उनको भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया था। साल 2015 में उनको 2014 के दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
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