'पद्मावती' पर ही विवाद क्यों, इससे पहले भी चित्ताैड़ की रानी पर बन चुकी हैं कई फिल्में
राजस्थान की करणी सेना और राजपूत समाज का मानना है कि तथ्यों को तोड़ मरोड़कर फिल्म में पेश किया जा रहा है।
नई दिल्ली:
बॉलीवुड में सुपरहिट फिल्मों का तमगा हासिल करने वाले निर्देशक संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' पर संकट के बादल छाए हुए हैं। देशभर में फिल्म का विरोध बढ़ता जा रहा है। राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश और दिल्ली एनसीआर के सामाजिक संगठन फिल्म के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। देशभर में 'पद्मावती' 1 दिसंबर को रिलीज होने वाली थी, लेकिन अब इसके टलने के आसार नजर आ रहे हैं।
मीडिया गलियारों में आ रही खबरों पर गौर करें तो केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड) ने तकनीकी कारणों से फिल्म को वापस फिल्ममेकर्स को लौटा दिया है। जी हां, 'पद्मावती' दोबारा सेंसर बोर्ड के पास आएगी और इसकी पुन: नियमों के अनुसार दोबारा समीक्षा की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि यह मामला वर्तमान परिस्थितियों में तूल पकड़ता नजर आ रहा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही यह कहते हुए फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की याचिका खारिज कर चुका है कि किसी फिल्म के बारे में फैसला लेना सेंसर बोर्ड का काम है। ऐसे में बिना फिल्म देखे अटकलों पर आधारित विवाद का जड़ें फैलाना चिंता का विषय बनता जा रहा है।
हालांकि, वहीं दूसरी ओर फिल्म के प्रोड्यूर्स ने 'पद्मावती' की रिलीज की तारीख आगे बढ़ाए जाने की खबरों को अटकलें करार दिया है।
दरअसल, फिल्म के विरोध की वजह इतिहास से छेड़छाड़ बताई जा रही है। राजस्थान की करणी सेना और राजपूत समाज का मानना है कि तथ्यों को तोड़ मरोड़कर फिल्म में पेश किया जा रहा है। 'पद्मावती' में रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण और शाहिद कपूर मुख्य किरदार निभा रहे हैं। ऐसे में निर्माता के सिर से लेकर अभिनेत्री को नाक काटने तक की धमकियां दी जा रही हैं।
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राजस्थान से शुरू हुआ यह हंगामा कई राज्यों में अपने पैर पसार चुका है, जिसके कारण फिल्म की रिलीज टल गई है, तो अगले तीन हफ्तों तक कोई भी बड़ी फिल्म रिलीज नहीं होने की वजह से सिनेमावालों को 500 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ेगा।
ऐसे में बॉलीवुड हस्तियां भी भंसाली के समर्थन में उतर आई हैं। विद्या बालन, अर्जुन कपूर और अरशद वारसी ने भंसाली की फिल्म की तारीफ करते हुए, निर्देशक के नजरिये को समझने की गुहार लगाई है। इसके साथ ही बॉलीवुड फिल्मों में कांट-छांट को लेकर विवादों में आए सेंसर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष पहलाज निहलानी भी इस मुद्दे पर काफी बदले-बदले नजर आए।
उनका कहना है कि बिना देखे फिल्म का विरोध ठीक नहीं है। फिल्म पर गहराते विवाद को देखते हुए भंसाली ने भी सामने आकर सफाई दी थी कि फिल्म में तथ्यों के साथ कोई भी छेड़छाड़ नहीं कि गई है। इसमें रानी पद्मावती और अलाउद्दीन खिलजी के बीच कोई भी रोमांटिक ड्रीम सीक्वेंस नहीं फिल्माया गया है। हम राजपूत समाज का सम्मान करते हैं।
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खैर, रानी पद्मावती पर यह कोई पहली फिल्म नहीं है। सत्तर के दशक में तमिल में भी चित्ताैड़ की रानी पद्मिनी एक फिल्म बनी थी। इसमें शिवाजी गणेशन और एमएन नांबियार जैसे अभिनेताओं और वैजयंती माला ने यादगार नृत्य किया था।
इसके बाद हिंदी में भी रानी पद्मिनी नाम से फिल्म बनाई गई थी, जिसमें अनीता गुहा पद्मिनी, सज्जन अलाउद्दीन खिलजी और जयराज ने महारावल रतन सिंह की भूमिका निभाई थी।
फिल्म में मोहम्मद रफी और आशा भोंसले ने गानों को अपनी आवाज दी थी। इसके अलावा भी कई भाषाओं में इस पृष्ठभूमि पर फिल्में बनीं। लेकिन तब इस तरह के विवाद नहीं हुए थे। फिल्म रचनात्मकता और कल्पनाशीलता का अभिन्न हिस्सा मानी जाती हैं, ऐसे में उसकी रिलीज पर हंगामा बरपाने का कोई औचित्य नहीं है। फिलहाल विवाद बढ़ने के बाद हर किसी को सरकार की निरपेक्ष भूमिका की दरकार है।
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