करन जौहर, शाहरुख खान, आमिर खान, तुषार कपूर के अलावा इन कलाकारों के बच्चे हुए सरोगेसी से, जानिये भारत में इसको लेकर क्या है कानून
केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेकर भारत माता को एक ऐसा तोहफा दिया है, जिसकी उसे लंबे समय से दरकार थी।
highlights
- बिल के अनुसार, यह तकनीकी सुविधा केवल जरूरतमंदों को ही मिलनी चाहिए न कि पहले से ही दो-दो बच्चे होने के बावजूद और शौकिया तौर पर इसे आजमाने वालों को
- इस कानून के मद्देनजर केवल किराए की कोख नजदीकी रिश्तेदार ही दे सकेंगे, जिसमें मौसी, मामी और बुआ को शामिल किया गया है
नई दिल्ली:
बॉलीवुड और सरोगेसी का रिश्ता बहुत पुराना है, अभिनेता शाहरुख खान, आमिर खान, तुषार कपूर और सोहेल खान के बाद इस फेहरिस्त में एक और नाम शामिल हो गया है और वो है निर्माता-निर्देशक करन जौहर का। जी हां, एकाएक उनके जुड़वा बच्चों के पिता बनने की खबर ने सभी को चौंका दिया है। अखबार मुंबई मिरर ने इस खबर की पुष्टि की है। सिंगल फादर बने करन ने अपनी बेटी का नाम रूही और बेटे का नाम यश रखा है। साल 2016 में तुषार कपूर के सिंगल फादर बनने के बाद भी सभी इसी तरह हैरान हो गए थे। आज हम आपको बताने जा रहे हैं सरोगेसी कानून के बारें में और भारत में इसको लेकर क्या प्रावधान हैं।
सरोगेसी अर्थात् किराए की कोख, जिसे कुछ लोग वरदान मानते हैं, तो कुछ लोग मातृत्व का व्यापार। देश में हर साल बढ़ते सरोगेसी के मामले से एक बड़ा विवाद गहराता रहा है। किराए की कोख के बढ़ते व्यवसाय को देखते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने सरोगेसी बिल 2016 को मंजूरी दे दी है। इसके तहत सरोगेसी के व्यावसायिक इस्तेमाल को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने का प्रावधान रखा गया है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अध्यक्षता में गठित मंत्री समूह की सिफारिशों के आधार पर ही यह बिल तैयार किया गया, जिसमें केवल नि:संतान जोड़ों को ही इस तकनीक को अपनाने की अनुमति दी गई है।
बिल के अनुसार, यह तकनीकी सुविधा केवल जरूरतमंदों को ही मिलनी चाहिए न कि पहले से ही दो-दो बच्चे होने के बावजूद और शौकिया तौर पर इसे आजमाने वालों को। इससे यह केवल व्यवसाय बनता जा रहा है, जिसके पास पैसा है, वह इसका लाभ उठा सकता है और जो संतान के लिए तरस रहा है, वह पैसों के अभाव में इससे वंचित रह जाता है।
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कई बड़ी हस्तियों ने बच्चे होने के बावजूद सरोगेसी तकनीक का उपयोग किया। इसमें शाहरुख खान, आमिर खान, सोहेल खान और तुषार कपूर प्रमुख रहे हैं। हद तो तब हो गई, जब अभिनेता तुषार कपूर को अविवाहित पिता बनने का चस्का लगा और उन्होंने भी किसी की परवाह किए बिना सेरोगोसी को शौकिया तौर पर इस्तेमाल किया।
कई मामले ऐसे भी देखे गए हैं, जिनमें विदेशी या फिर प्रवासी भारतीय भारत आते हैं और गरीब व आदिवासी महिलाओं को पैसों का लालच देकर उनसे किराए की कोख खरीदते हैं। इसके बाद जब यह बच्चा दुनिया में आ जाता है, तो वह इसे अपनाने से मना कर देते हैं या फिर महिला को छोड़कर रफ्फूचक्कर हो जाते हैं। इसके बाद उन बेबस महिलाओं के पास बच्चे को पालने या फिर मारने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता है। भारत में भी कई ऐसे विवादित मामले देखने को मिले हैं, जिसमें बच्चा अगर लड़की है या फिर दिव्यांग तो उसे भी लेने से मना कर दिया जाता है, जिसमें उस महिला का कोई दोष नहीं होता है, जो पूरे नौ महीने तक उस भ्रूण को अपने खून से सींचती है।
इन विसंगतियों को देखते हुए सरकार ने नए कानून का जो प्रस्ताव तैयार किया है, उसमें कुछ शर्तों को भी शामिल किया है, जिसके तहत सिर्फ भारतीय ही सरोगेसी का लाभ उठा सकेंगे। विदेशी, प्रवासी भारतीय या फिर अन्य भारतीय जो यहां का नागरिक होने का दावा करता है, उसे इस तकनीकी से दूर रखा जाएगा। इसमें अविवाहित पुरुष या महिला, सिंगल, लिव इन में रह रहा जोड़ा, समलैंगिक जोड़े और बच्चे को गोद लेने वाले कप्ल्स को भी सेरोगेसी के लाभ से दूर रखने का प्रावधान रखा गया है।
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इस कानून के मद्देनजर केवल किराए की कोख नजदीकी रिश्तेदार ही दे सकेंगे, जिसमें मौसी, मामी और बुआ को शामिल किया गया है। इसके अलावा शादीशुदा दंपत्ति को इसके लिए आवेदन देने से पहले चिकित्सीय जांच में यह दिखाना होगा कि वह मां-बाप बनने में सक्षम नहीं तभी उन्हें इस तकनीक को उपयोग में लाने की मंजूरी दी जाएगी।
जरूरत के नाम पर शुरू हुई सरोगेसी को आज लोग शौकिया तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं, जो कि बेहद शर्मनाक बात है। केंद्र सरकार जल्द ही इसके लिए सरोगेसी नेशनल बोर्ड स्थापित करेगी। वहीं दूसरी ओर किराए की कोख से पैदा होने वाले बच्चे को मां-बाप के जैविक बच्चे के समान हर कानूनी अधिकार प्राप्त होंगे। बच्चे के होने पर उसे सेरोगेट मदर के पास नहीं छोड़ा जा सकता है, ऐसा करने पर 10 साल की जेल और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना देना होगा।
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क्या कभी किसी ने यह जानने की कोशिश की कि आखिर क्यों ये माएं अपनी कोख किराए पर देने को मजबूर होती हैं? इसका जवाब शायद सभी जानते होंगे। गरीबी। जी हां, आज हम आजाद भारत में रहने के बावजूद कई ऐसी समस्याओं से घिरे हुए हैं, क्योंकि यहां गरीब और गरीब होता जा रहा है और अमीर और अमीर। इसके चलते उसमें नए-नए शौक खुदबखुद आ जाते हैं। इसमें से एक शौक है सेरोगेसी भी है।
दरअसल, हमारे वेदों-पुराणों में यही लिखा गया है कि स्त्री तभी पूर्ण मानी जाती है, जब वह अपनी कोख में नौ माह तक एक बच्चे को धारण करती है, यह सुख भोगने के लिए उन्हें ईश्वर का ऋृणी होना चाहिए, लेकिन समाज की खोखली और दिखावे की मानसिकता ने लोगों को आज केवल रोबोट की तरह बना दिया है, जो केवल मशीन की तरह काम तो करता है, लेकिन उसमें भावनात्मकता और प्यार नाम की कोई चीज नहीं होती है।
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