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यूपी चुनाव 2017: लखनऊ के राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा आम है कि अगर अब सपा टूटी तो कारण होगा मुलायम का 'अमर प्रेम'

दो फाड़ हो चुकी समाजवादी पार्टी (सपा) की धुरी अब वरिष्ठ नेता अमर सिंह बन चुके हैं।

Updated on: 06 Jan 2017, 05:27 PM

highlights

  • समाजवादी पार्टी में अखिलेश-मुलायम के बीच अभी तक नहीं बनी सहमति
  • नरेश अग्रवाल ने कहा, अगर अमर सिंह लखनऊ नहीं आते तो बात सुलझ जाती
  • अमर सिंह ने कहा, मुझ पर बेबुनियाद आरोप लगाये जा रहे हैं

नई दिल्ली:

दो फाड़ हो चुकी समाजवादी पार्टी (सपा) की धुरी अब वरिष्ठ नेता अमर सिंह बन चुके हैं। पार्टी में अखिलेश खेमा अमर सिंह को पूरी लड़ाई के लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है तो वहीं मुलायम खेमे के अमर सिंह ने इससे इनकार किया है।

शुक्रवार को समाजवादी पार्टी में पूरे दिन कभी सुलह की तो, कभी अलग-अलग चुनाव लड़ने की खबर आती रही। वहीं मुलायम सिंह यादव ने प्रेस कांफ्रेंस भी रद्द कर दिया। इस बीच अमर सिंह दिल्ली से लखनऊ पहुंचे और अखिलेश खेमे ने अमर सिंह को लड़ाई का विलेन करार दिया। अखिलेश के करीबी नरेश अग्रवाल ने कहा, 'अगर अमर सिंह नहीं आते कल लखनऊ तो बात सुलझ जाती। पर अब वो आ गये हैं तो सुलह मुश्किल है।'

वहीं अमर सिंह ने अखिलेश को आड़े हाथों लिया है। सिंह ने कहा, 'जिनके घर पर मुख्यमंत्री पले बढ़े उन्हीं चाचा (शिवपाल यादव) के आज वो विरोधी हो गये।' उन्होंने कहा, 'राजनीति बड़ी क्रूर और निर्मम होती है, पूरे विवाद में मुलायम सिंह अकेले और बेहैसियत हो गए हैं।'

उन्होंने कहा कि मुझ पर बेबुनियाद आरोप लगाये जा रहे हैं। मेरा आशीर्वाद अखिलेश के साथ है और मैं उनकी राह में रोड़ा नहीं हूं।

अमर सिंह ने अखिलेश, नरेश अग्रवाल और किरनमय नंदा को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, 'जो विधायक मंत्री कल तक शिवपाल यादव के पास रहने के चलते दागी थे आज सुबह अखिलेश के पक्ष में दस्तखत करने पर पाक साफ कैसे हो गए। सत्ता के वृंदावन में रहना है तो स्वामी जी को सहना है, हांजी! हांजी! कहना है।'

जिसके जवाब में नरेश अग्रवाल ने कहा, 'जब हम राजनीति में आये तो कुछ लोग राजनीतिक का कच्छा पहने घूम रहे थे।'

मुलायम, शिवपाल और अखिलेश, रामगोपाल के खेमे के बीच जारी विवाद को सुलझाने में सपा के कद्दावर नेता आजम खान अहम भूमिका निभा रहे हैं। दोनों खेमे के बीच कई दफा बैठक करा चुके हैं।

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को लखनऊ में पार्टी के एक आपातकालीन अधिवेशन के दौरान मुलायम सिंह को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाकर पार्टी का मार्गदर्शक घोषित कर दिया था। अखिलेश यादव गुट ने शिवपाल यादव को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से भी हटा दिया था।

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