/newsnation/media/media_files/2025/10/14/tej-pratap-yadav-political-journey-2025-10-14-23-12-35.jpeg)
पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव Photograph: (News Nation)
बिहार की राजनीति हमेशा से ही परिवारवाद, परंपरा और बगावत के मेल से भरी रही है. लेकिन जब बात आती है लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव की, तो कहानी राजनीति से कहीं ज्यादा दिलचस्प हो जाती है. कभी आरजेडी के राजकुमार कहे जाने वाले तेज प्रताप, अब 2025 में पार्टी से निष्कासित होकर अपनी अलग राजनीतिक राह तलाश रहे हैं.
तेज प्रताप यादव का कहां हुआ जन्म?
16 अप्रैल 1988 को बिहार के गोपालगंज जिले में जन्मे तेज प्रताप यादव राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के बड़े बेटे हैं. लालू परिवार बिहार की राजनीति का सबसे प्रभावशाली राजनीतिक घराना माना जाता है. सात बहनों और एक छोटे भाई, तेजस्वी यादव के बीच तेज प्रताप हमेशा एक अलग किस्म के व्यक्तित्व के रूप में सामने आए हैं नाटकीय, धार्मिक और भावनात्मक. बचपन से ही वे सार्वजनिक जीवन में कम दिखाई दिए, और ज्यादातर समय मीडिया की सुर्खियों से दूर रहे. लेकिन जैसे-जैसे राजनीति में परिवार की भूमिका बढ़ी, तेज प्रताप का नाम भी चर्चाओं में आने लगा.
कितने पढ़े-लिखे हैं तेज प्रताप?
तेज प्रताप यादव की औपचारिक शिक्षा बहुत ज्यादा लंबी नहीं रही. उनके 2020 के चुनावी शपथ-पत्र के अनुसार, उनकी हाईएस्ट एकेडमिक इंटरमीडिएट (BSEB, 2010) है. हालांकि, उन्होंने खुद को आध्यात्मिक और पर्यावरण-प्रेमी बताते हुए कई बार कहा कि डिग्री नहीं, सोच मायने रखती है. वे अक्सर धार्मिक ग्रंथों, पर्यावरण संरक्षण, योग और गौ सेवा जैसे विषयों पर सोशल मीडिया पर पोस्ट करते रहते हैं. उनका लगाव भगवान कृष्ण काफी है.
राजनीति में कैसे मारी एंट्री?
तेज प्रताप की राजनीतिक शुरुआत साल 2015 में हुई, जब उन्होंने पहली बार महुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और शानदार जीत हासिल की. तब बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी थी और लालू यादव के बेटे होने के नाते तेज प्रताप को मंत्री बनाया गया. उन्हें स्वास्थ्य मंत्री का विभाग मिला.
मंत्री बनने के बाद छाए रहे हैं तेज प्रताप
हालांकि, मंत्री रहते हुए वे कई बार विवादों में भी घिरे कभी प्रशासनिक अनुभव की कमी को लेकर, तो कभी उनके बयानबाजी के कारण. इसके बावजूद वे मीडिया में हमेशा चर्चा में रहे. उनके राधा-कृष्ण और शिवभक्त अवतार, साइकिल से सचिवालय पहुंचने की तस्वीरें और आम जनता से जुड़ने की शैली ने उन्हें अलग पहचान दी.
2020 में हसनपुर में आजमाई किस्मत
2020 के विधानसभा चुनाव में तेज प्रताप ने हसनपुर सीट से मैदान संभाला और दोबारा विधायक बने. इस बार वे ज्यादा परिपक्व नजर आए और अपने विभाग को लेकर सजग दिखे. अगस्त 2022 में महागठबंधन की वापसी के साथ उन्हें पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्री बनाया गया.
इस दौरान उन्होंने वृक्षारोपण अभियान, साइकिल प्रचार और ग्रीन बिहार मिशन जैसे प्रतीकात्मक अभियानों को आगे बढ़ाया. लेकिन जनवरी 2024 में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर पलटी मारकर एनडीए से हाथ मिला लिया, तो तेज प्रताप का मंत्री कार्यकाल भी समाप्त हो गया.
RJD से क्यों आउट हुए तेज प्रताप यादव?
मई 2025 तेज प्रताप यादव के राजनीतिक जीवन का बड़ा मोड़ साबित हुआ. आरजेडी अध्यक्ष और उनके पिता लालू प्रसाद यादव ने उन्हें अनुशासनहीन आचरण के आरोपों के बीच छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया. इस फैसले ने पूरे बिहार की राजनीति को हिला दिया.
पिता और पुत्र के बीच राजनीतिक दूरी साफ दिखने लगी. इसके बाद तेज प्रताप ने खुद की पार्टी जनशक्ति जनता दल की नींव रखी. उन्होंने कहा कि यह दल युवाओं और किसानों की आवाज बनेगा. अब वे 2025 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर महुआ सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. उनका कहना है कि मैं अपने दम पर राजनीति में अपनी जगह बनाऊंगा, बिहार के लोग मेरे साथ हैं.
ये भी पढ़ें- Bihar Elections: क्या राजद में सबकुछ ठीक है? लालू के बांटे सिंबल को तेजस्वी ने वापस लिया