/newsnation/media/media_files/2025/10/14/bihar-election-2025-rjd-2025-10-14-11-02-09.jpg)
Bihar Elections: बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन इसके साथ ही राज्य की राजनीति में सरगर्मी भी तेज हो गई हैं. जहां एक ओर जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने अब तक सौ से अधिक उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, वहीं सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी महागठबंधन के बीच सीट बंटवारे को लेकर अब तक सहमति नहीं बन पाई है. लेकिन इस बीच महागठबंधन के लिए अच्छी खबर सामने नहीं आई है. दरअसल आरजेडी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. लालू प्रसाद यादव ने नामांकन से पहले जिन्हें पार्टी सिंबल बांटे थे उन्हें दिल्ली से लौटने के बाद तेजस्वी ने वापस ले लिया. इसके बाद अटकलों का बाजार गर्म है.
लालू ने दिया पार्टी का सिंबल
विपक्षी महागठबंधन की अगुवाई कर रही राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में सोमवार को जमकर सियासी उथल-पुथल देखने को मिली. पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर पार्टी के संभावित उम्मीदवारों की भीड़ उमड़ पड़ी. बताया जा रहा है कि पार्टी की ओर से ही इन नेताओं को बुलाया गया था, जहां खुद लालू प्रसाद यादव ने कई नेताओं को चुनाव लड़ने के लिए RJD का सिंबल (चुनाव चिन्ह) सौंप दिया.
तेजस्वी ने वापस मांगे सिंबल
हालांकि, देर रात दिल्ली से लौटे पूर्व उपमुख्यमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव के पटना पहुंचते ही समीकरण बदल गए. तेजस्वी के पहुंचते ही राबड़ी आवास पर पहले से मौजूद नेताओं को दोबारा बुलाया गया और उन्हें सौंपे गए सिंबल वापस ले लिए गए.
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस नेताओं ने RJD की ओर से सीट बंटवारे के औपचारिक ऐलान से पहले उम्मीदवारों को सिंबल दिए जाने पर नाराजगी जताई थी. तेजस्वी को यह संदेश दिल्ली से ही मिल चुका था और पटना लौटते ही उन्होंने स्थिति को संभालते हुए तत्काल कार्रवाई की.
बताया जा रहा है कि कई नेताओं से रात में ही बारी-बारी से सिंबल वापस लिए गए, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम पर पार्टी के किसी भी नेता ने आधिकारिक बयान नहीं दिया है। सिंबल वापस लेने की खबर पर पूछे जाने पर भी नेताओं ने चुप्पी साध ली.
कांग्रेस में भी चल रहा मंथन
दूसरी ओर, कांग्रेस ने अभी तक अपने उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं की है और न ही किसी को सिंबल सौंपा है. इससे साफ है कि महागठबंधन के भीतर तालमेल अब तक पूरी तरह से स्थापित नहीं हो सका है. बिहार की राजनीति में यह घटना महागठबंधन की अंदरूनी खींचतान को उजागर करती है. ऐसे में जब चुनावी समय नजदीक आ रहा है, सीटों का बंटवारा और तालमेल दोनों ही गठबंधन के भविष्य के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं.