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Bumper To Bumper Car Insurance: गाड़ियों के बंपर टू बंपर इंश्योरेंस को लेकर आया नया अपडेट, जानिए क्या है मामला

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले हफ्ते कोर्ट में जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (जीआई काउंसिल) ने बंपर-टू-बंपर कवर (Bumper To Bumper Cover) अनिवार्य करने के आदेश पर कुछ स्पष्टीकरण मांगी थी.

Updated on: 02 Sep 2021, 09:36 AM

highlights

  • मद्रास उच्च न्यायालय ने इस मामले को 13 सितंबर 2021 तक के लिए स्थगित किया
  • पिछले हफ्ते कोर्ट में जनरल इंश्योरेंस काउंसिल ने आदेश पर कुछ स्पष्टीकरण मांगा था 

नई दिल्ली :

Bumper To Bumper Car Insurance: मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने 1 सितंबर 2021 से नया वाहन बेचने पर उसका संपूर्ण बीमा (Bumper To Bumper) अनिवार्य रूप से किए जाने के अपने आदेश को फिलहाल टाल दिया है. 13 सितंबर 2021 तक के लिए मद्रास उच्च न्यायालय ने इस मामले को स्थगित कर दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले हफ्ते कोर्ट में जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (जीआई काउंसिल) ने बंपर-टू-बंपर कवर (Bumper To Bumper Cover) अनिवार्य करने के आदेश पर कुछ स्पष्टीकरण मांगा था. वहीं मद्रास हाईकोर्ट ने जनरल इंश्योरेंस काउंसिल और बीमा नियामक को इसको लेकर नोटिस जारी किया हुआ है और इस मामले की सुनवाई अब 13 सितंबर को होगी.

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कंप्यूटर सिस्टम में बदलाव करने के लिए 90 दिन का समय दिए जाने की मांग
बता दें कि जनरल इंश्योरेंस काउंसिल ने कोर्ट से कहा है कि इंश्योरेंस कंपनियों को गाड़ियों के बंपर टू बंपर इंश्योरेंस के लिए बीमा नियामक से मंजूरी मिलने के बाद कंप्यूटर सिस्टम में बदलाव करने के लिए 90 दिन का समय दिया जाना चाहिए. इसके अलावा इंडस्ट्री इस बात का भी स्पष्टीकरण मांगा है कि मद्रास हाईकोर्ट का फैसला क्या दूसरे राज्यों में लागू होगा. बता दें कि 26 अगस्त को कार इंश्योरेंस को लेकर मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा था कि 1 सितंबर 2021 से कोई भी नया वाहन बेचने पर उसका संपूर्ण बीमा (Bumper To Bumper) अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए. 5 साल की अवधि के लिए चालक, यात्रियों और वाहन के मालिक को कवर करने वाले इंश्योरेंस के अतिरिक्त यह बंपर-टू-बंपर इंश्योरेंस होगा. बता दें कि बंपर-टू-बंपर इंश्योरेंस में वाहन के फाइबर, धातु और रबड़ के हिस्सों समेत 100 फीसदी कवरेज दिया जाता है.

बता दें कि न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन ने हाल ही में अपने एक आदेश में कहा था कि वाहन के मालिक को चालक, यात्रियों, तीसरे पक्ष और खुद के हितों की रक्षा करने के लिए इस अवधि के बाद सतर्क रहना चाहिए, ताकि उस पर किसी भी तरह का कोई अनावश्यक उत्तरदायित्व नहीं आए. बता दें कि न्यू इंडिया एश्योरेंस (New India Assurance) की ओर से एक मामले में रिट पिटीशन पर मद्रास हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा था. 7 दिसंबर 2019 को इंश्योरेंस कंपनी ने इरोड स्पेशल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट (मोटर एक्सिडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल) के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. 

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न्यू इंडिया एश्योरेंस की ओर से याचिका में कहा गया कि इंश्योरेंस कंपनी सिर्फ थर्ड पार्टी की ओर से होने वाले नुकसान के लिए ही जिम्मेदार है. कंपनी का कहना था कि कार चालक से एक्सिडेंट होने की स्थिति में कंपनी इस नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं है. कोर्ट ने फैसला सुनाने से पहले ही कहा कि यह बेहद दुखद है कि जब भी किसी वाहन की बिक्री की जाती है तो खरीदार को पॉलिसी की शर्तों और इसके महत्व के बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी नहीं दी जाती है और ना ही खरीदारों की ओर से ही कोई दिलचस्पी होती है. इंश्योरेंस कंपनी का कहना है कि विचाराधीन बीमा पॉलिसी सिर्फ थर्ड पार्टी के द्वारा वाहन को पहुंचे नुकसान के लिए थी, ना कि वाहन में बैठे लोगों के द्वारा. इंश्योरेंस कंपनी ने कहा है कि कार मालिक के द्वारा अतिरिक्त प्रीमियम दिए जाने पर कवरेज को बढ़ाया जा सकता है.