Asian Games 2018: मुक्केबाज अमित पंघल ने कहा-पदक का रंग बदलना एकमात्र लक्ष्य
गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीतने वाले भारत के एमेच्योर मुक्केबाज अमित पंघल ने कहा है कि एशियाई खेलों में अपने पदक का रंग बदलना ही उनका एकमात्र लक्ष्य है।
नई दिल्ली:
गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीतने वाले भारत के एमेच्योर मुक्केबाज अमित पंघल ने कहा है कि एशियाई खेलों में अपने पदक का रंग बदलना ही उनका एकमात्र लक्ष्य है। 22 साल के मुक्केबाज अमित इंडोनेशिया में 18 अगस्त से शुरू होने जा रहे 18वें एशियाई खेलों में 49 किग्रा वर्ग में उतरने जा रहे हैं। उनका यह पहला एशियाई खेल है।उन्होंने इस वर्ष फरवरी में सोफिया में हुए स्टांडझा कप में स्वर्ण पदक जीता था और वह इसी प्रदर्शन को एशियाई खेलों में भी बरकरार रखने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
अमित ने इंडोनेशिया रवाना होने से पहले आईएएनएस के साथ साक्षात्कार में कहा, 'यह मेरा पहला एशियाई खेल है, जिसमें मैं राष्ट्रमंडल खेलों में जीते गए रजत को स्वर्ण में बदलना चाहता हूं। इसके लिए मैं मानसिक और शारीरिक रूप से अच्छी स्थिति में हूं।'
अमित अपने पहले एशियाई खेलों को लेकर काफी उत्साहित हैं। लेकिन उनका साथ ही यह भी मानना है कि अपने देश के लिए पदक जीतने का जज्बा भी उनमें उतना ही तेज है। उन्होंने पिछले साल नेशनल चैम्पियनशिप में पदार्पण किया था, जहां स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया था।
हरियाणा के रोहतक जिले के रहने वाले अमित ने एशियाई खेलों के लिए अपनी तैयारी के बारे में भी खुलकर बातचीत की। उन्होंने कहा, 'हाल ही में हमने इंग्लैंड में काफी अच्छी तैयारी की है। इससे हमारे लिए आगे की राह आसान हुई है। इंडिया कैंप में सुबह-शाम दो से ढाई घंटे तक ट्रेनिंग करते हैं।'
उन्होंने कहा, 'कैंप ब्रेक के बाद मैं अपने कोच अनिल धनखड़ के साथ भी ट्रेनिंग करता हूं। अनिल जी शुरू से ही मेरे कोच रहे हैं। वह हमेशा नई-नई तकनीकों से मुझे अवगत कराते रहते हैं। वह मुझे मेरी कमियां भी बताते हैं जिसे आगे चलकर मैं सुधारने की कोशिश करता हूं।'
भारतीय मुक्केबाज ने पिछले साल ताशंकद में एशियाई एमेच्योर मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में कांस्य पदक अपने नाम किया था। इसके अलावा वह 2017 में ही आइबा विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे थे।
यह पूछे जाने पर कि टीम में विकास और मनोज जैसे अनुभवी मुक्केबाजों से क्या कुछ सीखने को मिलता है, अमित ने कहा, 'उनके (विकास-मनोज) पास बहुत सारा अनुभव है, जिसे वे हमारे साथ साझा करते हैं। हम उनकी तकनीकों को ग्रहण करने की कोशिश करते हैं। मनोज भाई और विकास भाई हमें बहुत प्रेरित करते रहते हैं।'
अमित के पिता किसान हैं जबकि उनका बड़ा भाई अजय सेना में हैं। वह कहते हैं कि उनके बड़े भाई ने ही उन्हें मुक्केबाजी में आने के लिए प्रेरित किया।
अमित ने कहा, 'मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि रिंग में उतरूंगा। मेरे बड़े भाई फिटनेस के लिए मुझे मुक्केबाजी में लेकर आए थे, लेकिन जैसे-जैसे लगा कि मैं इसमें अच्छा कर रहा हूं तो फिर मैंने इसे ही अपना करियर बना लिया।'
और पढ़ें: एशियाई खेलों में अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहता हूं : नीरज चोपड़ा
यह पूछे जाने पर कि शिवा थापा जैसे मुक्केबाज पेशवर मुक्केबाजी में उतर रहे हैं तो क्या हम उन्हें भविष्य में पेशेवर मुक्केबाजी में उतरते देखेंगे।
उन्होंने कहा, 'पेशेवर मुक्केबजी में अधिक पैसा और सुविधाएं मिलती हैं। लेकिन देश के लिए पदक जितना मेरे लिए पैसे और सुविधाओं से बढ़कर है। भविष्य में कल क्या होगा किसी को पता नहीं है, इसलिए मैं अपने वर्तमान पर ध्यान दे रहा हूं।'
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