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भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारी 'निराशावादी' और 'चिड़चिड़े': चीनी मीडिया

चीन ने भारत के विदेश मंत्रालय के अधिकारी को 'निराशावादी' और 'चिड़चिड़ा' बताया।

News Nation Bureau
| Edited By :
28 Feb 2017, 09:43:58 AM (IST)

highlights

  • चीनी मीडिया ने भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को बुलाया चिड़चिड़ा
  •  एनएसजी और मसूद अजहर के मुद्दे के ना सुलझने पर भारतीय अधिकारियों का व्यवहार निराशाजनक 
  • विषमता के मुद्दों पर चीन से सबक लेकर भारत को ईमानदार रहना चाहिए

ऩई दिल्ली:

चीन ने भारत के विदेश मंत्रालय के अधिकारी को 'निराशावादी' और 'चिड़चिड़ा' बताया। चीन के एक सरकारी अखबार के एक लेख में कहा गया,'पिछले सप्ताह में विदेश सचिवों के बीच सकारात्मक बातचीत के बावजूद भारत के विदेश मंत्रालय के अधिकारी 'निराशावादी' और 'चिड़चिड़े' है।

ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख में कहा, एनएसजी और मसूद अजहर के मुद्दे के ना सुलझने पर चीनी अधिकारियों के सकारात्मक द्वपक्षीय वार्ता करने की कोशिश के बावजूद भारतीय अधिकारियों का व्यवहार निराशावादी रहा।'

इस लेख में कहा गया कि दो उभरते आर्थिक दिग्गजों के बीच इस महत्वपूर्ण अंतर को समझना दोनों देशों के बीच स्थानांतरण की गतिशीलता पर कब्जा करने के लिए आवश्यक है। दिलचस्प बात ये है कि पिछले सप्ताह खुद चीन ने दावा किया था है कि भारत और चीन के बीच पाकिस्तान से आतंकवाद और भारत को न्यूक्लीयर सप्लाई ग्रुप में सदस्यता का विवाद द्वपक्षीय नहीं बहुपक्षीय वार्ता का हिस्सा है।

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लेख में कहा गया है,'कई सारी गलतफहमियां है। भारत में, आम लोगों को लगता है कि चीन उनके देश को निराश और परेशान कर रहा है। पेचीदा और बहुपक्षीय प्रभाव वाले मुद्दे अक्सर निशाने पर रहते है और भारत के खिलाफ चीन के बुरे इरादों के सबूत के तौर पर दिखने लगते है।

'भारत चीन से एक सबक यह ले सकता है कि खुद के साथ ईमानदार रहिए। आर्थिक और भूराजनीतिक ताकत में विषमता किसी भी द्विपक्षीय संबंध के लिए स्वाभाविक बात है। व्यावहारिकता और उद्यमशीलता की बात होने पर चीन ने शायद ही कभी अमेरिका के साथ संबंधों में पीछे की सीट पर होने को लेकर शिकायत की हो।'

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अखबार ने बीते 22 फरवरी को संपन्न हुए चीन-भारत सामारिक संवाद के नतीजों का विश्लेषण करते हुए यह लेख प्रकाशित किया है। इस सामरिक संवाद का मकसद द्विपक्षीय संबंधों को सुधारना और एनएसजी और मसूद अजहर के मुद्दे को लेकर मतभेदों को दूर करना था। अखबार ने भारत को यह भी सलाह दी है कि उम्मीदों को कम करे और द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक महत्व दे।

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