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तालिबान विरोधी गुट ने मुक्त कराए अफगानिस्तान के 3 जिले

अफगानिस्तान की एक न्यूज चैनल Pajhwok न्यूज ने यह दावा किया है कि अफगानिस्तान में अब्दुल हामिद दादगर ने तालिबान के कब्जे वाले अंद्राब बघलान के तीन जिलों को वापस मुक्त करा लिया है.

News Nation Bureau
| Edited By :
20 Aug 2021, 10:57:16 PM (IST)

highlights

  • अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ लड़ने के लिए पूर्व सैनिकों ने मोर्चा संभालना शुरू कर दिया
  • इन सभी की अगुवाई अहमद मसूद कर रहे हैं
  • अहमद मसूद अहमद शाह मसूद के बेटे जो तालिबानियों को मात दे चुके है

काबुल:

अफगानिस्तान (Afghanistan) पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां पर अफगानियों ने बगावत भी शुरू कर दी है. कुछ गुट तालिबान के कब्जे वाले इलाकों को छीनने की कोशिश में जुट गए हैं. इस बीच एक अफगान न्यूज ने ये दावा किया है कि तालिबान के कब्जे वाले से तीन जिलों को मुक्त करा लिया गया हैं. हालांकि इस पर तालिबान की ओर से ऐसी कोई खबर नहीं आयी है. अफगानिस्तान की स्थानीय न्यूज़ एजेंसी ने यह दावा किया है कि अफगानिस्तान में अब्दुल हामिद दादगर ने तालिबान के कब्जे वाले अंद्राब बघलान के तीन जिलों को वापस मुक्त करा लिया है. हालांकि इस बारे में तालिबान की ओर से कुछ नहीं कहा गया है. ये शहर बघलान प्रांत के हैं.

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वही दुसरी तरफ, अफगानिस्तान के पंजशीर इलाकों में तालिबान के खिलाफ लड़ने के लिए पूर्व सैनिकों ने मोर्चा संभालना शुरू कर दिया है. इन सभी की अगुवाई अहमद मसूद कर रहे हैं, जो कि तालिबानियों को मात दे चुके अहमद शाह मसूद के बेटे हैं. वॉशिंगटन पोस्ट में एक इंटरव्यू के जरिए अहमद मसूद ने कहा कि पंजशीर इलाके में उनके साथ मुजाहिद्दीन के हजारों लड़ाके हैं, जो तालिबान के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार हैं. उन्होंने आगे कहा कि भले ही अमेरिका अफगानिस्तान से चला गया हो, लेकिन हथियार और अन्य मदद कर सकता है. एक मीडिया रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया कि अफगानिस्तान कई मौजूदा और पूर्व सैनिक भी पंजशीर में अहमद मसूद के साथ हैं. 

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अहमद मसूद लगातार तालिबान के खिलाफ रणनीति बना रहे हैं और पूर्व सैनिकों, पुलिस और अन्य लोगों के साथ मिलकर तालिबान को मात देने को कोशिश में हैं. खास बात यह है कि खुद को अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित करने वाले अमरुल्ला सालेह इस वक्त पंजशीर में ही रुके हुए हैं. यही नहीं अफगानिस्तान तालिबानी शासन (Talibani Rule) की शुरुआत होने के बाद से ही स्थानीय जनता भी बेहद परेशान है. राजधानी काबुल में शुरुआत में शांति रही, लेकिन अब यहां पर भी जनता ने तालिबान के खिलाफ आवाज उठाना शुरू कर दिया है. खास बात यह है कि ऐसे प्रदर्शनों की की अगुवाई खुद महिलाएं कर रही हैं.