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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज की पंचायत चुनाव में आरक्षण की याचिका

संविधान के अनुच्छेद 243(ओ) के तहत चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद कोर्ट को चुनाव में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने याचिका पोषणीय न होने के आधार पर खारिज की.

News Nation Bureau
| Edited By :
02 Apr 2021, 06:16:10 PM (IST)

highlights

  • हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर याचिका की खारिज
  • चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के कारण कोर्ट ने हस्तक्षेप से किया इंकार
  • अनुसूचित जनजाति का एक भी व्यक्ति न होने के बावजूद ग्राम प्रधान की सीट आरक्षित

प्रयागराज:

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव ( UP Panchayat Elections 2021 ) को लेकर एक याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट ( Allahabad High Court ) ने खारिज कर दिया. दरअसल, हाई कोर्ट में यह याचिका पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर दाखिल किया गया था. चुनाव प्रक्रिया शुरू होने की वजह से कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया. जिले में‌ अनुसूचित जनजाति का एक भी व्यक्ति न होने के बावजूद ग्राम प्रधान की सीट आरक्षित करने को दी चुनौती गई थी. कोर्ट के समक्ष राज्य सरकार की तरफ से याचिका पर की गई आपत्ति. राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि पंचायत चुनाव की अधिसूचना चुनाव आयोग ने जारी कर दी है. 

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संविधान के अनुच्छेद 243(ओ) के तहत चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद कोर्ट को चुनाव में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने याचिका पोषणीय न होने के आधार पर खारिज की. यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी और न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने गोरखपुर जिले के परमात्मा नायक और दो अन्य की याचिका पर दिया है. मुख्य न्यायाधीश के आदेश पर स्पेशल कोर्ट बैठी और आज शुक्रवार दो अप्रैल को छुट्टी के दिन याचिका पर सुनवाई की.

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याचिका में कहा गया था कि गोरखपुर जिले में कोई भी अनुसूचित जनजाति का व्यक्ति नहीं है. इसके बावजूद सरकार ने 26 मार्च 2021 को जारी आरक्षण सूची मे चावरियां बुजुर्ग, चावरियां खुर्द और महावर कोल ग्रामसभा सीट को आरक्षित घोषित कर दिया है. जो कि संविधान के उपबंधो का खुला उल्लंघन है. आरक्षण के रिकार्ड तलब कर रद किया जाय और याचियों को चुनाव लड़ने की छूट दिया जाय.

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