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पंजाब में घमासान: नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे पर क्या बोले CM चरणजीत सिंह चन्नी? जानिए पूरी बात

पंजाब कांग्रेस में लंबे समय से जारी सियासी घमासान अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ था कि नवजोत सिंह सिद्धू ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे लिया है. जिसके बाद पंजाब में एक बार उठापटक का दौर शुरू हो गया है

News Nation Bureau
| Edited By :
28 Sep 2021, 04:11:20 PM (IST)

नई दिल्ली:

पंजाब कांग्रेस में लंबे समय से जारी सियासी घमासान अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ था कि नवजोत सिंह सिद्धू ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे लिया है. जिसके बाद पंजाब में एक बार उठापटक का दौर शुरू हो गया है. सिद्धू के इस्तीफे के बाद पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष चरणजीत सिंह ​चन्नी ने प्रेस कांफ्रेंस की है. मीडिया से बातचीत में सीएम चन्नी ने कहा कि मुझे अभी नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे की जानकारी नहीं हैं. सिद्धू हमारे अध्यक्ष हैं और एक अच्छे नेता हैं. चन्नी ने कहा कि अगर सिद्धू किसी बात पर नाराज हैं तो मैं उनसे मिलकर बात करूंगा. 

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आपको बता दें कि  चरणजीत सिंह चन्नी को नया मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद पंजाब से फिर बड़ी खबर सामने आई है. यहां पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस आलाकमान को अपना इस्तीफा भेज दिया है. सूत्रों के अनुसार सिद्धू ने अपने ​इस्तीफे के साथ कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक चिट्ठी भी भेजी है. चिट्ठी में सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने का कारण बताया है. सोनिया गांधी के नाम लिखे अपने पत्र में नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व में गिरावट की शुरुआत समझौते से शुरू होती है, लेकिन मैं पंजाब के भविष्य को लेकर कोई समझौता नहीं कर सकता हूं.

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I have full confidence & faith in (Navjot Singh) Sidhu Sahab: Punjab Chief Minister Charanjit Singh Channi pic.twitter.com/9w8brbQtwt

— ANI (@ANI) September 28, 2021

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सिद्धू चरणजीत सिंह चन्नी के कैबिनेट में विभागों के बंटवारे से नाराज थे. उनके समर्थक मंत्रियों को मनचाहा और मलाईदार विभाग नहीं मिला. दूसरे राज्य की नौकरशाही के सर्वोच्च पदों पर वे अपनी पसंद के अधिकारियों को नियुक्त करना चाहते थे. पंजाब के डीजीपी, राज्य के एडवोकेट जनरल जैसे अहम पदों पर वे अपने लोगों को बैठाना चाह रहे थे. लेकिन सरकार किसी एक के इच्छानुसार नहीं चलती है. पार्टी और सरकार में खींचतान को देखते हुए सिद्धू को लगा कि संगठन और सरकार में फेरबदल के बाद भी उनके हाथ कुछ नहीं लगा है.