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व्यापमं केस: 200 से ज्यादा छात्रों का भविष्य अधर में, सीबीआई ने की कार्रवाई की मांग

यह ऐसे उम्मीदवार हैं जो मेडिकल कॉलेज में नामांकन के लिए किसी भर्ती परीक्षा में नहीं बैठे थे। अधिकारियों के अनुसार यह परीक्षा 2012 में व्यापमं की ओर से आयोजित किए गए थे।

News Nation Bureau
| Edited By :
26 Nov 2017, 05:07:20 PM (IST)

highlights

  • सीबीआई को 9 जुलाई, 2015 को सौंपा गया था व्यापमं केस 
  • मामले की जांच के दौरान अब तक 50 से ज्यादा लोगों की हो चुकी है मौत
  • सीबीआई के आरोप पत्र में चार प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के चेयरमैन के नाम भी हैं शामिल

नई दिल्ली:

मध्यप्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) केस की जांच के तहत सीबीआई द्वारा छात्रों के चयन में अनियमितता के दावे के बाद राज्य में करीब 200 छात्रों का भविष्य अधर में लटक सकता है।

रिपोर्ट्स के अनुसार इन छात्रों ने चार प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में मैनेजमैंट कोटा के तहत बड़ी फीस देकर नामांकन लिया था। अब जांच में सामने यह बात सामने आ रही है कि उनके चयन में धांधली हुई है।

अधिकारियों के मुताबिक जांच एजेंसी ने मध्य प्रदेश सरकार को चिट्ठी लिखकर इन उम्मीदवारों के खिलाफ जरूरी कदम उठाने को कहा है। यह ऐसे उम्मीदवार हैं जो मेडिकल कॉलेज में नामांकन के लिए किसी भर्ती परीक्षा में नहीं बैठे थे। अधिकारियों के अनुसार यह परीक्षा 2012 में व्यापमं की ओर से आयोजित किए गए थे।

इस बीच मध्यप्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) केस के मामले में सीबीआई ने इंदौर के अरुण अरोड़ा को गिरफ्तार कर लिया है। अरुण अरोड़ा तब इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के एडमिशन कमेटी के चेयरमैन थे।

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इससे पहले गुरुवार को ही जांच एजेंसी ने भोपाल स्थित स्पेशल सीबीआई कोर्ट में 592 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए थे। इनमें चारों प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन के नाम भी शामिल हैं।

सीबीआई सूत्रों के अनुसार इनमें पीपुल्स ग्रुप के चेयरमैन सुरेश एन. विजयवर्गीय, एल.एन. मेडिकल कॉलेज के जयनारायण चौकसे, चिरायु के डॉ. अजय गोयनका, और इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के सुरेश भदौरिया का नाम है।

सीबीआई के आरोप-पत्र में कुल 592 आरोपी हैं, जिनमें 245 नए हैं। इनमें से 20 आरोपियों की तरफ से जमानत के लिए आवेदन दिए गए थे, जिसे कोर्ट द्वारा खारिज कर दिया गया।

सीबीआई के आरोप-पत्र में यह बात भी सामने आई है कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस में दाखिले के एवज में 80 लाख रुपये और स्नाकोत्तर के लिए एक करोड़ रुपये तक ज्यादा की रकम ली गई। अनुमान के मुताबिक, इस एक वर्ष में हजार करोड़ का घोटाला हुआ है।

व्यापमं घोटाले पर गौर करें तो पता चलता है कि इसमें कई बड़े लोग, जिनमें शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे लक्ष्मीकांत शर्मा, उनके ओएसडी रहे ओ. पी. शुक्ला, भाजपा नेता और कई भाजपा नेताओं के करीबी सुधीर शर्मा, व्यापमं के पूर्व नियंत्रक पंकज त्रिवेदी, व्यापमं के कंप्यूटर एनालिस्ट नितिन महेंद्रा घोटाले का सरगना डॉ. जगदीश सागर जेल जा चुके हैं।

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इनमें से कई जमानत पर हैं। बताते चलें कि इस मामले को 9 जुलाई, 2015 को सीबीआई को सौंपे जाने से पहले जांच कर रही एसटीएफ ने व्यापमं घोटाले में कुल 55 प्रकरण दर्ज किए गए थे। इसमें से 2100 आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है, वहीं 491 आरोपी अब भी फरार हैं।

जांच के दौरान 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। एसटीएफ इस मामले के 1200 आरोपियों के चालान भी पेश कर चुका है।

इस मामले का जुलाई 2013 में खुलासा होने के बाद जांच का जिम्मा अगस्त 2013 में एसटीएफ को सौंपा गया था। फिर इस मामले को हाई कोर्ट ने संज्ञान में लेते हुए पूर्व जस्टिस चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में अप्रैल 2014 में एसआईटी बनाई, जिसकी देखरेख में एसटीएफ जांच कर रहा था। अब मामला सीबीआई के पास है।

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