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एमपी में कांग्रेस ने झोंकी पूरी ताकत, एसपी-बीएसपी के बाद छोटे दलों को भी साथ लाने की कोशिश

मध्य प्रदेश की सत्ता से पिछले 15 सालों से बाहर रही कांग्रेस इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। इसलिए वो गठबंधन के जरिये शिवराज सरकार के सामने ताल ठोंकने की तैयारी में है।

News Nation Bureau
| Edited By :
04 Jun 2018, 07:04:34 PM (IST)

नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश की सत्ता से पिछले 15 सालों से बाहर रही कांग्रेस इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। इसलिए वो गठबंधन के जरिये शिवराज सरकार के सामने ताल ठोंकने की तैयारी में है।

बुन्देलखण्ड, ग्वालियर-चंबल संभाग और महाकौशल इलाके में तरीके से अलग-अलग पार्टियों से गठजोड़ करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। कैराना लोकसभा में विपक्ष की जीत से उत्साहित कांग्रेस मध्य प्रदेश में बड़े भाई की भूमिका में आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है।

बुन्देलखण्ड और ग्वालियर चंबल संभाग में कांग्रेस की पहली प्राथमिकता बीएसपी है। यूपी से सटे इस इलाके में समाजवादी पार्टी का भी प्रभाव है, लेकिन पार्टी का मानना है कि, बीएसपी का प्रभाव एसपी के मुकाबले ज्यादा है।

बीएसपी और एसपी के विधायक भी इस इलाके से जीतते आये हैं। ऐसे में कांग्रेस बीएसपी को 12 और एसपी को 5 सीटें देने को तैयार है। जबकि, बीएसपी ने 30 और एसपी ने 10 सीटों की मांग की है। सीटों को लेकर चर्चा जारी है और सूत्रों का मानना है कि, बातचीत सही दिशा में चल रही है।

इसके साथ ही कांग्रेस की महाकौशल और विंध्य इलाके में गोंड आदिवासियों पर भी निगाहें हैं। इस इलाके में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की भूमिका है। गोंड जनजाति 6 लोकसभा क्षेत्रों और करीब 60 विधानसभा सीटों पर प्रभाव रखती है।

2003 में गोंगपा के 3 विधायक जीते भी थे। कांग्रेस इस पार्टी के साथ गठजोड़ करके गोंड जनजाति के साथ ही आदिवासियों को अपने साथ जोड़ना चाहती है। मध्य प्रदेश में कुल 23 फीसदी आदिवासी हैं, जिनमें करीब 7 फीसदी गोंड हैं। कांग्रेस गोंगपा को 3-5 सीटें देने के मूड में है।

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तीनों दलों के साथ गठजोड़ को अंजाम देने की ज़िम्मेदारी प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के कंधों पर है, जो लगातार तीनों दलों से संपर्क में हैं और बातचीत को अंतिम रूप दे रहे हैं।

इस मुद्दे पर मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ का कहना है कि, बीजेपी की गलत और तानाशाह नीतियों के खिलाफ सभी सेक्युलर ताक़तों जनता के हित में इकट्ठा होना चाहिए और मध्य प्रदेश में इसी के लिए प्रयासरत हैं।

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