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मध्य प्रदेश : लॉकडाउन में अकेले रहने वाले बुजुर्गों के लिए पुलिस ने शुरू की 'संकल्प योजना'

इसका मकसद बुजुर्गो को घर तक सुविधाएं मुहैया कराना है. विभिन्न इलाकों में बड़ी संख्या में ऐसे बुजुर्ग अकेले या दंपत्ति निवासरत है जिनके बच्चे दूसरे शहरों में नौकरी करते हैं और वे अकेले रहने को मजबूर हैं.

28 Apr 2020, 04:45:35 PM (IST)

Bhopal:

कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए सरकारों ने कुछ सख्त फैसले लिए हैं, उनमें से एक लॉकडाउन भी है. लॉकडाउन से अकेले रहने वाले बुजुर्गो को परेशानी न हो इसके लिए मध्यप्रदेश के उमरिया जिले की पुलिस ने 'संकल्प योजना' शुरू की है. इसका मकसद बुजुर्गो को घर तक सुविधाएं मुहैया कराना है. विभिन्न इलाकों में बड़ी संख्या में ऐसे बुजुर्ग अकेले या दंपत्ति निवासरत है जिनके बच्चे दूसरे शहरों में नौकरी करते हैं और वे अकेले रहने को मजबूर हैं. वैसे भी बुजुर्गो के लिए अपनी सुविधाएं जुटाना मुश्किल होता है और महामारी के बीच यह और भी कठिन हो गया है. लॉकडाउन के कारण उन्हें कई तरह की समस्याओं से गुजरना पड़ रहा है लिहाजा बुजुर्ग सुरक्षित रहें समस्याओं से न जूझना पड़े, इसके साथ ही उन्हें सुविधाएं उनके दरवाजे पर मिले इसके लिए उमरिया पुलिस ने संकल्प योजना की शुरुआत की है.

पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा ने आईएएएनएस को बताया, "जिले में जितने भी बुजुर्ग हैं उनको सुविधा देने के मकसद से यह योजना शुरू की गई है. 60 वर्ष की आयु से अधिक के बुजुर्गो के लिए यह योजना शुरू की गई है. इस योजना के जरिए इन बुजुर्गो के घर तक दवाएं, सब्जी, दूध, आवश्यक सामान टेलीफोन, टीवी रिचार्ज कराना, ऑनलाइन आवेदन करना आदि जैसी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है."

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बताया गया है कि 450 पुलिसकर्मियों को बुजुर्गो की देखरेख के लिए तैनात किया गया है. इन पुलिस जवानों पर बुजुर्गो की जरूरतों को पूरा करने की जवाबदारी सौंपी गई है. इसके साथ पुलिस जवान हर दो दिन में इन बुजुर्गो से संपर्क करते हैं और उनकी जरूरत को पूछते हैं.

आखिर पुलिस अधीक्षक के दिमाग में संकल्प योजना शुरू करने की बात कहां से आई तो वे बताते हैं कि कुछ दिन पहले उनकी बुजुर्गो से मुलाकात हुई जिस पर उन्हें पता चला कि अकेले रहने वाले बुजुर्गो को दवाइयों सहित अन्य दिक्कत हो रही है. इस पर तय किया गया क्यों न संकल्प परियोजना बनाई जाए. इसी पर काम किया गया और बुजुर्गो की मदद का सिलसिला शुरू हुआ.

विकटगंज की कृष्णा पांडे बताती हैं कि पुलिस अधीक्षक उनके घर आए थे और समस्या पूछी थी, हमारे दोनों बच्चे बाहर रहते हैं. ऐसे में पुलिस अधीक्षक ने जो पहल की है वह हमारे लिए मददगार है. दवाएं आ जाती है और अन्य जरूरतें भी पूरी हो रही है. इससे काफी सहूलियत मिल रही है.

एक तरफ जहां कोरोना जैसी महामारी के समय बुजुर्गो को पुलिस की मदद मिलेगी वहीं दूसरा पक्ष उनकी सुरक्षा का भी है. बुजुर्गो तक पुलिस की पहुंच होने से उन अपराधों पर भी अंकुश लगेगा जो बुजुर्गो के साथ होते रहते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि जब पुलिस का लगातार बुजुर्गो से संपर्क रहेगा तो वे अपराधी जो बुजुर्गो को निशाना बनाते है वे भी इससे बचेंगे. इससे एक तरफ जहां पुलिस बुजुर्गो की सेवा कर रही है वहीं दूसरी ओर उनकी सुरक्षा का भी इंतजाम हो रहा है.