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कर्नाटक के बाद मध्य प्रदेश में 'ऑपरेशन कमल' से कमलनाथ सरकार खतरे में, सकते में कांग्रेस

कर्नाटक में कुमारस्‍वामी सरकार गिराने के बाद अब मध्‍य प्रदेश में 'ऑपरेशन कमल' चलाने की खबरें आ रही हैं. इस कारण मध्‍य प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया है. 'ऑपरेशन कमल' से कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.

News Nation Bureau
| Edited By :
04 Mar 2020, 09:07:04 AM (IST)

नई दिल्‍ली:

कर्नाटक में कुमारस्‍वामी सरकार गिराने के बाद अब मध्‍य प्रदेश में 'ऑपरेशन कमल (Operation Lotus)' चलाने की खबरें आ रही हैं. इस कारण मध्‍य प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया है. 'ऑपरेशन कमल' से कमलनाथ सरकार (Kamalnath Govt) पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. हालांकि कांग्रेस और कमलनाथ सरकार के सूत्रों का कहना है कि सरकार पर कोई संकट नहीं है. दरअसल, कांग्रेस पार्टी के चार और बाहर से समर्थन दे रहे निर्दलीय और सपा-बसपा के विधायकों सहित आठ विधायकों को गुरुग्राम के एक होटल में देखा गया है. एक दिन पहले दिग्‍विजय सिंह ने बीजेपी पर विधायकों की खरीद-फरोख्‍त का आरोप लगाया था. दिग्‍विजय सिंह ने कहा था- ''भाजपा राज्य सरकार को अस्थिर करने के लिए उनकी पार्टी के विधायकों को रिश्वत देने की कोशिश कर रही है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के एक अन्य वरिष्ठ नेता नरोत्तम मिश्रा 25-35 करोड़ रुपये देकर कांग्रेस के विधायकों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं.''

हालांकि यह भी खबर आ रही है कि कांग्रेस नेता दिग्‍विजय सिंह, कमलनाथ सरकार के मंत्री जीतू पटवारी और जयवर्धन सिंह देर रात बसपा से निष्कासित विधायक राम बाई और कांग्रेस विधायक बिसाहू लाल साहू को होटल से निकालकर ले गए. बताया जा रहा है कि इस दौरान जीतू पटवारी और पुलिस के बीच झड़प भी हुई. हालांकि अभी तक विधायक हरदीप सिंह (कांग्रेस ,सवासरा), निर्दलीय सुरेन्द्र सिंह शेरा, बीएसपी विधायक संजीव कुशवाह, कांग्रेस विधायक ऐदल सिंह कंसाना का का कोई पता नहीं चल पा रहा है.

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इससे पहले खबर आई थी कि बीजेपी नेता नरोत्तम मिश्रा चार कांग्रेसी और 4 गैर कांग्रेसी विधायकों को लेकर गुरुग्राम के पांच सितारा होटल आईटीसी मानेसर में ठहरे हुए हैं. दिग्विजय सिंह को इस बारे में जानकारी मिली तो वे कुछ कांग्रेसी विधायकों के साथ वहां पहुंच गए. वहां पुलिस ने उन्‍हें रोका तो वहां झड़प भी हुई. इस दौरान सीआईएसएफ के जवान भी मौजूद रहे.

दिग्विजय सिंह ने इस पूरे प्रकरण पर कहा, जब हमें पता चला तो जीतू पटवारी और जयवर्धन सिंह वहां गए. जिन लोगों के साथ संपर्क स्थापित किया गया था, वे वापस आने को तैयार थे. हम बिसाहूलाल साहू और राम बाई के संपर्क में थे. राम बाई वापस आईं, तब भी जब बीजेपी ने उन्हें रोकने की कोशिश की.

Digvijaya Singh, Congress: When we got to know, Jitu Patwari & Jaivardhan Singh went there. People with whom our contact was established were ready to come back to us. We were able to get in touch with Bisahulal Singh & Ramabai. Ramabai came back, even when BJP tried to stop her. https://t.co/WWSXQbdXzB pic.twitter.com/MHL0Rl6mLm

— ANI (@ANI) March 3, 2020

राज्‍य विधानसभा में विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव ने पिछले साल जुलाई में ही कहा था, 'ऊपर से आदेश है. तुम्हारी सरकार नहीं बचेगी. हमारे ऊपर वाले नंबर 1 या नंबर 2 का आदेश हुआ तो आपकी सरकार 24 घंटे भी नहीं चलेगी.' हालांकि इसके बाद राज्य विधानसभा में आपराधिक कानून (मध्य प्रदेश संशोधन) विधेयक, 2019 पर चर्चा के दौरान कमलनाथ सरकार के पक्ष में 122 वोट पड़े थे, जो राज्य की 231 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत से सात अधिक है.

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तब बीजेपी के दो विधायकों ने कांग्रेस सरकार के पक्ष में मतदान किया था. वर्तमान में राज्य विधानसभा में 228 सदस्य हैं. दो विधायकों की मृत्यु के बाद दो सीटें खाली हैं. फिलहाल कांग्रेस के पास 114, बीजेपी के 107 विधायक है. शेष नौ सीटों में से दो बसपा के पास हैं जबकि सपा का एक विधायक है. वहीं विधानसभा में चार निर्दलीय विधायक हैं.