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मध्य प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की राजनीति में बुंदेलखंड अंचल की ताकत बढ़ी

आजादी और राज्य का गठन होने के बाद पहली बार ऐसा मौका आया है, जब देश और दुनिया में पिछड़ा, समस्याग्रस्त और उपेक्षित माने जाने वाले इस इलाके की सियासी हैसियत बढ़ी है.

IANS
| Edited By :
27 Feb 2020, 08:47:29 AM (IST)

Bhopal:

मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राजनीति में बुंदेलखंड अंचल की ताकत बढ़ गई है. आजादी और राज्य का गठन होने के बाद पहली बार ऐसा मौका आया है, जब देश और दुनिया में पिछड़ा, समस्याग्रस्त और उपेक्षित माने जाने वाले इस इलाके की सियासी हैसियत बढ़ी है. यह बात अलग है कि भाजपा में इस क्षेत्र की हैसियत तब बढ़ी है, जब भाजपा राज्य की सियासत में विपक्ष में है.

भाजपा के दो प्रमुख पद या यूं कहें कि पार्टी के सबसे ताकतवर पद अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी बुंदेलखंड से नाता रखने वाले दो नेताओं के हाथ में आई है. नेता प्रतिपक्ष सागर जिले की रहली विधानसभा से विधायक गोपाल भार्गव हैं तो अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी खजुराहो लोकसभा के सांसद वी.डी. शर्मा को सौंपी गई है.

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भाजपा राज्य में डेढ़ दशक तक सत्ता में रही और अब विपक्ष की भूमिका है. पार्टी ने आक्रामक आंदोलनों की रणनीति पर काम करते हुए प्रदेश अध्यक्ष की कमान शर्मा को सौंपी है, युवाओं में खासी पकड़ रखने वाले शर्मा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और संगठन दोनों की पसंद है. वहीं नेता प्रतिपक्ष भार्गव की पहचान भी जनाधार वाले नेता की है.

भाजपा की राजनीति हो या राज्य की, यह पहला मौका है जब किसी दल के दो प्रमुख पद बुंदेलखंड के नेताओं के हिस्से में आए हैं. इससे पहले उमा भारती जरूर राज्य की मुख्यमंत्री बनी थी, वे भी इसी क्षेत्र से आती हैं. उमा भारती के मुख्यमंत्री काल में इस क्षेत्र की सियासी अहमियत बढ़ी थी और लोगों में विकास की आस भी जागी थी. अब भाजपा के दो प्रमुख पदों पर यहां ने जनप्रतिनिधि काबिज हुए हैं, जिससे फिर उम्मीद जगी है.

बुंदेलखंड क्षेत्र में मध्यप्रदेश के आठ और उत्तर प्रदेश के आठ जिले आते हैं. मध्य प्रदेश में सागर, दमोह, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी और दतिया जिला हैं. इन जिलों में विधानसभा की कुल 29 सीटें हैं. इन 29 सीटों में से भाजपा का 15 सीटों पर कब्जा है तो कांग्रेस के पास 12 सीटें हैं, इसके अलावा बसपा और सपा के खाते में एक-एक सीट है. कुल मिलाकर संख्या गणित के आधार पर भाजपा और विपक्षी दल यहां बराबरी पर है. वहीं इस क्षेत्र के विधानसभा क्षेत्र पांच लोकसभा क्षेत्रों का हिस्सा है जहां सभी पर भाजपा का कब्जा है.

भाजपा में अब से पहले तक समय-समय पर मालवा, ग्वालियर-चंबल और महाकौशल ताकतवर रहा है और इन क्षेत्रों के नेताओं की तूती बोलती रही है, मगर यह पहला मौका है जब बुंदेलखंड को अहमियत मिली है. भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष और वर्तमान गृहमंत्री अमित शाह ने खजुराहो में लोकसभा चुनाव के दौरान क्षेत्रवासियों से शर्मा को बड़ा नेता बनाने का वादा किया था और शर्मा को अध्यक्ष बनाकर उन्होंने वादा पूरा किया है.

राजनीति के जानकारों की माने तो भाजपा के पास अन्य क्षेत्रों में ताकतवर और प्रभावशाली नेता है, कभी बुंदेलखंड से भी उमा भारती के तौर पर आकर्षक और आक्रामक चेहरा हुआ करता था, मगर उमा भारती के राजनीतिक तौर ज्यादा सक्रिय न होने के कारण इस क्षेत्र में आक्रामक नेता की कमी महसूस होने लगी. लिहाजा, पार्टी ने भार्गव के साथ शर्मा को अहम जिम्मेदारी देकर इस क्षेत्र में पकड़ को और मजबूत करने की रणनीति बनाई होगी, क्योंकि यह हिस्सा उत्तर प्रदेश की सीमा से लगा हुआ है.