हरियाणा में लागू हुआ संपत्ति क्षति वसूली कानून, अब उपद्रवियों से होगी रिकवरी
हरियाणा जनसंपर्क एवं सूचना विभाग द्वारा इस बारे में जानकारी दी. विभाग ने बताया कि हरियाणा में यह कानून लागू हो गया है. अब किसी उपद्रव के दौरान हुए नुकसान की भरपाई अब नुकसान करने वालों से ही की जाएगी.
highlights
- राज्यपाल ने बिल पर हस्ताक्षर करके दी मान्यता
- राज्यपाल के साइन होते ही लागू हुआ कानून
- अब संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर होगी कार्रवाई
नई दिल्ली:
हरियाणा में 'संपत्ति क्षति-वसूली विधेयक-2021' (Damages to Property During Disturbance Act 2021) को राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्या (Haryana Governor Satyadev Narayan Arya) से मंजूरी मिली है. इसी के साथ यह विधेयक कानून बन गया. इस कानून के तहत सरकार-दंगे फसाद या आंदोलनों में होने वाले नुकसान की भरपाई उपद्रवियों से ही करेगी. हरियाणा जनसंपर्क एवं सूचना विभाग द्वारा इस बारे में जानकारी दी. विभाग ने बताया कि हरियाणा में यह कानून लागू हो गया है. अब किसी उपद्रव के दौरान हुए नुकसान की भरपाई अब नुकसान करने वालों से ही की जाएगी.
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यूपी की तर्ज पर लागू हुआ कानून
हरियाणा में यह कानून यूपी की तर्ज पर लागू हुआ है. हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्या ने बिल पर मुहर लगाकर इसे मान्यता दे दी है. जानकारों का मानना है कि, ऐसे समय में किसान आंदोलन को देखते हुए सरकार ने इसे तत्काल लागू किया है. बता दिया जाए कि, इसी साल बजट सत्र के दौरान 18 मार्च के दिन संपत्ति क्षति वसूली विधेयक-2021 हरियाणा विधानसभा में पारित किया गया था. बिल पर राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्या ने मुहर लगा दी थी. अब आंदोलन में किसी भी तरह के नुकसान की भरपाई उपद्रवियों से की जाएगी.
विपक्ष ने किसान आंदोलन से जोड़ा
कहा जा रहा है कि किसान आंदोलन को देखते हुए सरकार ने इसे राज्य में तुरंत लागू किया है. मार्च में कांग्रेस सदस्यों के विरोध के बीच हरियाणा विधानसभा में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले हिंसक प्रदर्शनकारियों से क्षतिपूर्ति की वसूली का विधेयक पास किया गया था. विपक्ष ने आरोप लगाया था कि यह विधेयक किसान आंदोलन के चलते पास किया गया है.
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कांग्रेस ने उठाए सवाल
कांग्रेस का कहना है कि ऐसे विधेयक की क्या आवश्यकता थी? यह विधेयक ऐसे समय में लाया गया है जब किसान धरने पर बैठे हैं. विपक्ष के आरोपों के जवाब में मंत्री विज ने कहा था कि हम इस विधेयक को लोगों के लोकतांत्रिक अधिकार के खिलाफ नहीं ला रहे हैं. वे (विपक्ष) कह रहे हैं कि हम इसे किसानों के आंदोलन के लिए ला रहे हैं, लेकिन इसका आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है.