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आरक्षण पर सीएम नीतीश का नया सुझाव, 50 फीसदी से अधिक हो आरक्षण का दायरा

EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बिहार में जाति आधारीत सियासत तेज हो गई है.

09 Nov 2022, 11:31:49 AM (IST)

highlights

.आरक्षण पर सीएम नीतीश का नया सुझाव.50 फीसदी से अधिक हो आरक्षण का दायरा.SC/ST को आबादी के आधार पर आरक्षण.OBC-EBC को नहीं मिल रहा आबादी के हिसाब से आरक्षण

Patna:

EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बिहार में जाति आधारीत सियासत तेज हो गई है. बीजेपी आरजेडी पर तंज कस रही है तो सीएम ने लिमिटेड आरक्षण का दायरा बढ़ाने की मांग की है. देश की सर्वोच्च अदालत ने 7 नवंबर को EWS आरक्षण पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया. जिसे लेकर बिहार में सियासत काफी गरमाई रही. वहीं, इस फैसले के बाद सीएम नीतीश कुमार ने आरक्षण को लेकर नया सुक्षाव दिया है. सुप्रीम कोर्ट के EWS आरक्षण फैसले पर सीएम ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि SC/ST को आबादी के हिसाब से आरक्षण मिलता है, लेकिन ओबीसी और इबीसी को उनकी आबादी के हिसाब से आरक्षण नहीं मिल पाता है. इसलिए अब 50 प्रतिशत से अधिक का दायरा होना चाहिए.

एक तरफ जहां EWS आरक्षण विरोधी रही RJD सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सुझाव के साथ अब समर्थन जता रही है तो बीजेपी को आरजेडी पर वार करने का मौका मिल गया है. वहीं, इंदिरा साहनी के आरक्षण केस की बात करें तो साल 1991 में पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने आर्थिक आधार पर सामान्य श्रेणी के लिए 10 फीसदी आरक्षण देने का आदेश जारी किया था, जिसे इंदिरा साहनी ने कोर्ट में चुनौती दी थी. जबकि इंदिरा साहनी केस में 9 जजों की बेंच ने कहा था कि आरक्षित स्थानों की संख्या कुल उपलब्ध स्थानों के 50 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए. जबकि देश में वर्ग के अनुसार आरक्षण की बात करें तो SC को 15 फीसदी, ST को 7.5 फीसदी, OBC को 27 फीसदी और EWS को 10 फीसदी आरक्षण मिल रहा है.

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