बीजेपी के नामदार नहीं कामदार वाले फॉर्मूले से मिला जफर इस्लाम को RS का टिकट
पार्टी के दूसरे प्रवक्ताओं और नेताओं से अपेक्षाकृत कम चर्चित जफर इस्लाम को राज्यसभा भेजने की तैयारी कर बीजेपी अपने काडर को बड़ा संदेश देने जा रही है.
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में अमर सिंह के निधन से खाली हुई राज्यसभा सीट के लिए यूं तो बीजेपी (BJP) में कई हाईप्रोफाइल चेहरे दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने सैय्यद जफर इस्लाम (Zafar Islam) पर दांव खेलकर सबको चौंका दिया. पार्टी के दूसरे प्रवक्ताओं और नेताओं से अपेक्षाकृत कम चर्चित जफर इस्लाम को राज्यसभा भेजने की तैयारी कर बीजेपी अपने काडर को बड़ा संदेश देने जा रही है. ये संदेश है कि पार्टी को नामदार नहीं कामदार चाहिए. यानी सुर्खियों में रहने की जगह पार्टी के लिए ठोस काम करने वालों को ही तवज्जो मिलेगी. राज्यसभा (Rajya sabha) सदस्य बनते ही बीजेपी के पास तीन मुस्लिम सांसद हो जाएंगे. फिलहाल, केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और पूर्व विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर पार्टी के राज्यसभा सांसद हैं.
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कांग्रेस के खिलाफ नारा बना मूलमंत्र
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने आईएएनएस से कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2018 की एक रैली में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए 'नामदार बनाम कामदार' का नारा दिया था. बेशक नारे का इस्तेमाल विपक्ष पर निशाना साधने के लिए किया गया था, लेकिन संदेश पार्टी के नेताओं के लिए भी छिपा था. संदेश ये था कि सुर्खियों में रहने से ज्यादा जरूरी है, पार्टी के लिए खामोशी से काम करना.' पार्टी नेता ने आगे कहा, 'किसी ने सोचा भी नहीं था कि पार्टी के लो-प्रोफाइल चेहरे जफर इस्लाम ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे कांग्रेस के बड़े नेता को भाजपा में लाने में सफल होंगे. एक प्रवक्ता, अगर मध्य प्रदेश में पार्टी की सरकार बनाने में अहम योगदान देता है तो फिर उसे इनाम तो मिलना ही चाहिए.'
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राज्यसभा के लिए चुना जाना तय
उत्तर प्रदेश में भाजपा विधायकों के संख्या बल को देखते हुए अमर सिंह के निधन से खाली हुई सीट से जफर इस्लाम का राज्यसभा के लिए चुना जाना तय माना जा रहा है. उनका कार्यकाल 2022 तक होगा. जफर इस्लाम के जरिए एक तीर से बीजेपी कई निशाने साधने की कोशिश में है. जफर के रूप में मुस्लिम वर्ग में बीजेपी एक और प्रभावी नेता तैयार करने की कोशिश में है. भाजपा के पास फिलहाल, केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, पूर्व विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर और पूर्व केंद्रीय मंत्री शहनवाज हुसैन ही ऐसे चेहरे हैं, जिन्हें लोग जानते हैं. ऐसे में मुस्लिम समाज के पढ़े-लिखे चेहरे जफर इस्लाम को राज्यसभा सदस्य बनाकर और प्रभावी चेहरे के तौर पर राजनीति में स्थापित करने की तैयारी है.
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सिंधिया को लाए पार्टी में
कई बड़े दावेदारों के बावजूद सैय्यद जफर इस्लाम को यूपी से राज्यसभा भेजने के पीछे ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी में लाने का इनाम माना जा रहा है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने के कारण ही कमलनाथ सरकार गिरी और जिससे शिवराज सिंह चौहान की फिर से मध्य प्रदेश में सरकार बन सकी. कहा जा रहा है कि पार्टी ने जफर इस्लाम की मेहनत को जिस तरह से राज्यसभा टिकट का इनाम दिया है, उससे पार्टी के जमीनी काडर में एक सकारात्मक संदेश गया है कि लामबंदी नहीं बल्कि काम करने पर पुरस्कार मिलना तय है.
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मूलतः बैंकर हैं जफर इस्लाम
पृष्ठभूमि की बात करें तो जफर इस्लाम प्रोफेशनल बैंकर हैं. मूलत: झारखंड के रहने वाले जफर इस्लाम डॉइच बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर रह चुके हैं. करीब सात साल से वो भाजपा में हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम में काम कर चुके हैं. उन्हें पार्टी संगठन में प्रवक्ता की जिम्मेदारी है. वो एयर इंडिया बोर्ड के स्वतंत्र निदेशक भी हैं. अमर सिंह के निधन से खाली हुई उत्तर प्रदेश की राज्यसभा सीट पर 11 सितंबर को चुनाव होना है.