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ब्रिटेन को था कोरोना संक्रमण का आभास, पांच साल पहले किया था अभ्यास

ब्रिटिश अखबार 'द गार्जियन' ने सूचना के अधिकार कानून के तहत मिली जानकारी के आधार पर यह खुलासा किया है.

News Nation Bureau
| Edited By :
13 Jun 2021, 01:25:40 PM (IST)

highlights

  • एक्सरसाइज एलिस को 2016 में गोपनीय तरीके से अंजाम दिया गया
  • लक्ष्य था कोरोना वायरस के घातक स्वरूप मर्स-कोव संक्रमण को आंकना
  • पांच साल पहले तक ब्रिटेन ने महामारी प्रबंधन के दर्जनभर अभ्यास किए

लंदन:

कोरोना वायरस (Corona Virus) संक्रमण के वैश्विक प्रचार-प्रसार के लिए शुरुआत से चीन पर सवालिया निशान लग रहे हैं. अमेरिका संग ब्रिटेन (Britain) भी चीन को कठघरे में खड़ा करने से पीछे नहीं रहा था. हालांकि अब पता चला है कि ब्रिटिश सरकार ने लगभग पांच साल पहले एक अभ्यास किया था. इस अभ्यास का मकसद मर्स (Mers) की दस्तक से होने वाले दुष्प्रभावों को समय रहते आंकना और युद्धस्तर पर उससे निपटने के प्रभावी उपाय तलाशना था. चिकित्सकीय भाषा में कहें तो मर्स एक श्वास संक्रमण है, जो कोरोना वायरस के बेहद घातक स्वरूप मर्स-कोव के संपर्क में आने से पनपता है. ब्रिटिश अखबार 'द गार्जियन' ने सूचना के अधिकार कानून के तहत मिली जानकारी के आधार पर यह खुलासा किया है.

2016 में किया गया एक्सरसाइज एलिस अभ्यास
आरटीआई से मिली जानकारी के आधार पर अखबार लिखता है 'एक्सरसाइज एलिस' नाम के इस अभ्यास को 2016 में बेहद गोपनीय तरीके से अंजाम दिया गया था. वास्तव में यह कोविड-19 की दस्तक से पांच साल पहले तक ब्रिटेन में महामारी प्रबंधन को लेकर किए गए दर्जनभर से अधिक अभ्यासों में से एक था. इसमें पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीएचई) के अलावा स्वास्थ्य एवं सामाजिक कल्याण विभाग (डीएचएससी) के अधिकारी शामिल हुए थे. पीएचई ने पहले राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए अभ्यास से जुड़ी जानकारी देने से मना कर दिया था. 

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अभ्यास की जानकारी सार्वजनिक करने की मांग 
ब्रिटेन के एक शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ ने बताया कि 'एक्सरसाइज एलिस कोविड-19 महामारी के मद्देनजर पूरी तरह से प्रासंगिक था. इसका खाका फ्लू की रोकथाम के लिए किए जाने वाले उपायों के आधार पर खींचा गया था. हालांकि वह आश्चर्य जताते हुए कहते हैं कि फिर भी प्रमुख सलाहकार समितियों को अभ्यास का ब्योरा नहीं उपलब्ध कराया जाना बेहद आश्चर्यजनक है. अक्तूबर 2020 में ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने ऐसे ही एक अभियान 'एक्सरसाइज सिग्नस' पर रिपोर्ट प्रकाशित की थी. उन्होंने ब्रिटिश संसद को बताया था कि 'एक्सरसाइज सिग्नस' फ्लू महामारी को ध्यान में रखकर तैयार की गई थी. इसका लक्ष्य अन्य संभावित महामारियों का खतरा आंकना और उसके प्रसार को रोकने के लिए उपाय ढूंढना नहीं था.

सवालों के घेरे में ब्रिटिश स्वास्थ्य मंत्री
सूचना का अधिकार दाखिल करने वाले मूसा कुरैशी कहते हैं, 'सांसदों को हैनकॉक से सवाल करना चाहिए कि वह संसद को यह बताने में क्यों नाकाम रहे कि सरकार ने कई अन्य महामारियों से निपटने के लिहाज से अभ्यास किया था, जिनमें कोराना वायरस भी शामिल है.' हैनकॉक ब्रिटिश प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार डॉमिनिक कमिंग्स के एक बयान को लेकर भी विवादों में हैं. कमिंग्स ने कहा है कि उन्हें भरोसा दिलाया गया था कि महामारी से निपटने की ब्रिटेन की तैयारियां पूरी तरह से पुख्ता हैं. इसे लेकर हैनकॉक सांसदों के सवालों का भी सामना करेंगे.

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कोविड के बेहतर प्रबंधन में मिलती मदद
ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के प्रसिद्ध संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. डेविड मैथ्यूज ने दावा किया कि 'एक्सरसाइज एलिस' सहित अन्य अभ्यासों का डाटा साझा करने पर सरकारी एजेंसियों को कोविड-19 के बेहतर प्रबंधन में मदद मिलती. उन्होंने कहा, कोविड-19 फ्लू या मर्स सहित अन्य संक्रामक रोगों के मुकाबले कहीं बड़ी महामारी के रूप में उभरा है. निर्माताओं ने वायरस के प्रसार, इससे होने वाली मौतों और जांच की रफ्तार को लेकर कोविड-19 जितना बड़ा अनुमान भी नहीं लगाया होगा. बावजूद इसके 'एक्सरसाइज एलिस' या अन्य अभ्यास इसके प्रबंधन में काफी हद तक मदद देते.