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बिहार में बुजुर्ग के ब्रेन से डॉक्टरों की टीम ने निकाला क्रिकेट बॉल से भी बड़ा फंगस

बिहार से ब्लैक फंगस का एक बेहद ही अजीब-गरीब मामला सामने आया है. यहां एक मरीज के दिमाग से क्रिकेट बॉल से भी बड़ा ब्लैक फंगस निकाला गया है.

Updated on: 13 Jun 2021, 01:31 PM

पटना:

बिहार से ब्लैक फंगस (Black Fungus) का एक बेहद ही अजीब-गरीब मामला सामने आया है. यहां एक मरीज के दिमाग से क्रिकेट बॉल से भी बड़ा ब्लैक फंगस निकाला गया है. शनिवार को पटना के आईजीआईएमएस (IGIMS) के डॉक्टरों ने एक मरीजके ब्रेन से क्रिकेट की बॉल से भी बड़ा ब्लैक फंगस निकाला है. 3 घंटे के इस ऑपरेशन के बाद डॉक्टर ने मरीज को खतरे से बाहर बताया है. डॉक्टरों ने बताया कि फंगस मरीज के ब्रेन में जाल बना रहा था, जिस कारण से उसे मिर्गी आ रही था. 

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डॉक्टरों ने बताया कि मरीज का ऑपरेशन काफी जटिल था, क्योंकि ब्लैक फंगस ने ब्रेन में काफी जाल बिछा लिया था. IGIMS के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि जमुई के रहने वाले 60 साल के अनिल कुमार को मिर्गी जैसा दौरा पड़ रहा था. वह बेहोश हुए जा रहे थे, जिसके कारण उनकी स्थिति गंभीर थी. जांच में ब्लैक फंगस की पुष्टि होने के बाद उन्हें भर्ती किया गया था. न्यूरो सर्जन डॉक्टर डॉ. ब्रजेश कुमार और उनकी टीम ने ऑपरेशन किया है.

न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ. ब्रजेश कुमार ने बताया कि जमुई निवासी 60 वर्षीय अनिल कुमार को मिर्गी जैसे दौरे पड़ रहे थे. वह बार-बार बेहोश हो रहे थे और उनकी स्थिति गंभीर होती जा रही थी. उन्हें यह समस्या 15 दिन से थी. पहले वह घर पर ही इसका इलाज करा रहे थे. जब स्वजन उन्हें आइजीआइएमएस लेकर आए तो जांच में पता चला कि मस्तिष्क में ब्लैक फंगस का संक्रमण है. इसके बाद निर्णय लिया गया कि उनकी सर्जरी जल्द से जल्द की जाए.

कैसे शरीर को प्रभावित करता है ब्लैक फंगस

आंख, नाक के रास्ते ये फंगस दिमाग तक पहुंचता है और इस दौरान रास्ते में आने वाली हड्डी और त्वचा को नष्ट कर देता है और इसमें मृत्यु दर काफी ज्यादा है. लखनऊ के सीवीओ हॉस्पिटल के वरिष्ठ डॉक्टर एमबी सिंह इस फंगस को घातक तो मानते हैं, लेकिन इससे डरने की जरूरत नहीं मानते हैं. डॉक्टर का कहना है कि जो पेशेंट बहुत ज्यादा दिन तक ऑक्सीजन और वेन्टीलेटर्स के स्पोर्ट पर रहते हैं और जिनका सुगर अनकंट्रोल है, उनमें से भी किसी किसी को ही ये फंगस अपना शिकार बना रहा है.

ब्लैक फंगस के लक्षण

अगर इसके लक्षणों की बात करें तो इस रोग में अभी तक सिर में बहुत ज्यादा दर्द, आंखों में रेडनेस, आंखों से पानी आना, आंखों के मूवमेंट का बंद हो जाना जैसी परेशानियां देखी गई हैं. इस बीमारी के लक्षणों में नाक जाम होना, आंखों और गालों पर सूजन या पूरा चेहरा की फूल जाना भी शामिल हैं. कई बार नाक पर काली पपड़ी जमने लग जाती है. आंखों के नीचे दर्द या सिर में दर्द और बुखार भी इसके लक्षण हैं. कुछ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह इंफेक्शन नाक से शुरू होता है, जहां से यह ऊपरी जबड़े तक जाता है और फिर दिमाग तक पहुंच जाता है.

बीमारी के बढ़ने के तीन प्रमुख कारण

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस बीमारी के बढ़ने के तीन प्रमुख कारण हैं, जिसमें कोरोना, डायबिटीज और स्टेरॉइड्स का बेलगाम इस्तेमाल शामिल है. पहले से ही कुछ बीमारियों से पीड़ित कोविड मरीज में दूसरे रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है. मरीजों का शरीर बाहरी इंफेक्शन से मुकाबला नहीं कर पाता और इसी वक्त यह फंगस हमला बोलता है. इसके अलावा डायबिटीज के मरीजों पर इसका दोगुना खतरा होता है. तीसरा कारण स्टेरॉइड्स का ज्यादा इस्तेमाल है, जिसका कोरोना के इलाज में भी उपयोग होता है. इससे भी प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है.

ब्लैक फंगस का इलाज क्या है

डॉक्टरों की मानें तो म्यूकोरमाइसिस एक प्रकार का फंगल इंफेक्शन है, जो नाक और आंख से होता हुआ ब्रेन तक पहुंच जाता है और मरीज की मौत हो जाती है. अगर म्यूकोरमाइसिस बीमारी है का समय रहते पता चल जाए तो इलाज संभव है. इसका एक यह है इलाज कि लक्षणों को जल्द से जल्द पहचानें और डॉक्टर से संपर्क करें. कोविड से लड़कर आए लोगों को खासतौर पर इसके लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए. कुछ डॉक्टरों की मानें तो एक बार अगर इंफेक्शन दिमाग तक पहुंच गया तो फिर कोई इलाज कारगर नहीं.