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सीएम केजरीवाल का नहले पे दहला, घर-घर राशन पर बोले नहीं चाहिए क्रेडिट

अब घर-घर राशन (Door To Door Ration) योजना बगैर सीएम के नाम ही शुरू की जाएगी. देखने वाली बात यह होगी कि केजरीवाल सरकार के इस मास्टर स्ट्रोक का केंद्र सरकार किस तरह से जवाब देती है.

News Nation Bureau
| Edited By :
20 Mar 2021, 03:14:55 PM (IST)

highlights

  • सीएम घर-घर राशन योजना पर केजरीवाल सरकार का मास्टर स्ट्रोक
  • केंद्र सरकार की नाम पर आपत्ति के बाद बगैर नाम का प्रस्ताव
  • इस मास्टर स्ट्रोक से गेंद फिर से मोदी सरकार के पाले में 

नई दिल्ली:

दिल्ली में राशन की डोर स्टेप डिलीवरी के लिए लाई गई 'मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना' पर मची रार को खत्म करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने नहले पर दहले वाला कदम उठाया है. केंद्र सरकार (Modi Government) के ऐतराज के बावजूद योजना शुरू करने को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को बुलाई गई एक समीक्षा बैठक में बेहद अहम निर्णय लिया. एक मास्टर स्ट्रोक (Master Stroke) कदम के तहत केजरीवाल ने इस योजना के से नाम हटाने की बात कही है. यानी अब घर-घर राशन (Door To Door Ration) योजना बगैर सीएम के नाम ही शुरू की जाएगी. देखने वाली बात यह होगी कि केजरीवाल सरकार के इस मास्टर स्ट्रोक का केंद्र सरकार किस तरह से जवाब देती है.  

मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना पर रार
बैठक के बाद केजरीवाल ने एक संवाददात सम्मेलन में कहा कि इस महीने की 25 मार्च से 'मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना' के नाम से दिल्ली में एक बहुत ही क्रांतिकारी योजना चालू होने जा रही थी. जैसा कि हम सब लोग जानते हैं कि सरकार गरीबों को सस्ता राशन देती है. अभी तक लोगों को दुकानों पर राशन मिलता था. राशन लेने के लिए लोगों की लंबी-लंबी लाइनें लगती हैं. राशन की दुकानें कभी-कभी खुलती हैं. राशन की दुकानों में आने वाले अनाज में मिलावट होती है. दुकानदार कई बार ज्यादा पैसे लेते हैं और उन्हें तरह-तरह की परेशानी होती है.

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केंद्र सरकार की चिट्ठी से लगा धक्का
केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार ने काफी लोगों से चर्चा करने के बाद कुछ वक्त पहले समाधान निकाला कि जितना गेहूं बनता है उतना ही आटा, जितना चावल बनता है वो उसे बोरी में पैक करके घर पहुंचा दें तो राशन बंटवारे को लेकर जो समस्या है वह हल हो जाएगी. यह सोचकर दिल्ली में 'मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना' शुरू करने का फैसला किया गया. इसे 25 मार्च से शुरू किया जाना था, मगर शुक्रवार को दोपहर में केंद्र सरकार से हमारे पास एक चिट्ठी आई है कि आप  ये राशन योजना लागू नहीं कर सकते हैं. क्यों नहीं लागू कर सकते यह जानकर हमें धक्का लगा?

आप सरकार क्रेडिट के लिए नहीं कर रही काम
उस चिट्ठी में कारण बताया गया है कि इस योजना का नाम 'मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना' नहीं रखा जा सकता है. उन्हें शायद मुख्यमंत्री शब्द से समस्या है. हम बताना चाहते हैं कि हम अपना नाम करने के लिए ऐसा नहीं कर रहे हैं. हम अपना नाम चमकाने के लिए नहीं कर रहे हैं. हम कोई क्रेडिट लेने के लिए ऐसा नहीं कर रहे हैं. चिट्ठी में लिखा है कि मुख्यमंत्री लिखे होने से यह योजना राज्य सरकार की लगेगी. मैं साफ-साफ बताना चाहता हूं कि आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार किसी क्रेडिट के लिए काम नहीं कर रही है, सारा क्रेडिट उनका, काम सारा मेरा, जिम्मेदारी सारी मेरी.

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शनिवार बुलाई बैठक, लिया अहम निर्णय
आज सुबह मैंने अधिकारियों के साथ बैठक की और इस योजना से नाम हटाने के लिए कह दिया है. अब उसका कोई नाम नहीं होगा. बस पहले जो राशन आता था वह दुकानों के जरिये बंटता था, अब उसे सीधे घर-घर पहुंचाएंगे. हमें किसी नाम या क्रेडिट लेने के अंदर नहीं पड़ना. मैं समझता हूं कि इस निर्णय के बाद केंद्र सरकार की जो आपत्तियां थीं वो दूर हो जाएंगी और केंद्र सरकार इसे लागू करने के लिए मंजूरी देगी.  

राशन माफिया से संघर्ष रहेगा जारी
यही नहीं, उन्होंने कहा कि राशन माफिया को दूर करके लोगों तक राशन पहुंचाना मेरे लिए बहुत अहमियत रखता है. आज से 22 साल पले राशन माफिया के साथ मेरा संघर्ष शुरू हुआ था. मैं आयकर विभाग में काम करता था. उस दौरान ही मैंने झुग्गियों के अंदर काम किया. उसी दौरान पता चला कि राशन लेने में दिक्कत आती है. उस दौरान आरटीआई के जरिये पता किया था कि कैसे फर्जी साइन करके लोगों के राशन को चुराया जा रहा था. उस दौरान हमने इसके खिलाफ आवाज उठाई. उस दौरान कई कार्यकर्ताओं के खिलाफ हमले हुए. मगर उसका नतीजा कुछ खास नहीं निकला. हम वह व्यवस्था नहीं बदल पाए. किस्मत से दिल्ली में हमारी सरकार बन गई. इस पर निर्णय लेने का अधिकार हमारे पास आ गया. पिछले कुछ सालों में इस मामले से मैं सीधे तौर पर जु़ड़ा हूं कि कैसे लोगों को सीधे घर-घर राशन पहुंच सके.

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गेंद केंद्र के पाले में डाली
उन्होंने कहा कि यह बेहद अच्छी योजना है. इस योजना से राशन धीरे-धीरे पहुंचेगा. तीन-चार साल से मैं इस राशन माफिया के खिलाफ लड़ रहा हूं. अब जब हमारा सपना पूरा हो रहा था तो कल यह अड़चन आई तो हमारा दिल टूट गया. हम केंद्र सरकार की सभी शर्तें मानेंगे. हमारा सिर्फ एक ही मकसद है कि लोगों को घर तक राशन पहुंचाना है. अब उम्मीद करता हूं कि इससे केंद्र को कोई आपत्ति नहीं होगी. यह कोई नई योजना नहीं है. इसका कोई नाम नहीं होगा, मगर राशन घर-घर तक ही पहुंचेगा. सोमवार को हम कैबिनेट निर्णय लेकर इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज देंगे. यानी केजरीवाल ने इस नहले पे देहला वाले अंदाज में गेंद फिर से केंद्र सरकार के पाले में डाल दी है.