COVID-19 Crisis: हिंदुओं को विपक्ष पर तो मुसलमानों को मोदी सरकार पर कतई भरोसा नहीं
भारी बहुमत से मोदी 2.0 सरकार (Modi 2.0 Sarkar) बनाने वाला बहुसंख्यक मतदाता आज भी विपक्ष पर भरोसा नहीं कर सका है. इस बात को समझे बगैर कांग्रेस (Congress) समेत समग्र विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की हर रीति-नीति का विरोध कर रहा है
highlights
- भारी बहुमत से मोदी सरकार बनाने वाला बहुसंख्यक नहीं करता विपक्ष पर भरोसा.
- मुसलमानों को नहीं है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा, कुछ विपक्ष से भी दूर.
- कोरोना संक्रमण के दौर में विपक्ष अपनी भूमिका निभाने में नाकाम रहा है.
नई दिल्ली:
2019 लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections 2019) में भारी बहुमत से मोदी 2.0 सरकार (Modi 2.0 Sarkar) बनाने वाला बहुसंख्यक मतदाता आज भी विपक्ष पर भरोसा नहीं कर सका है. इस बात को समझे बगैर कांग्रेस (Congress) समेत समग्र विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की हर रीति-नीति का विरोध करता आ रहा है. कोरोना संक्रमण (Corona Epidemic) को लेकर भी कुछ ऐसा ही हो रहा है कि रचनात्मक विरोध जताने के साथ मोदी सरकार के साथ संकट की इस घड़ी में साथ खड़े होने का दावा करने वाले विपक्षी नेता ऐसा कोई मौका नहीं चूकते, जब वह सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों का विरोध नहीं करें. यह अलग बात है कि जनता आज भी उन पर भरोसा पैदा नहीं कर सका है. एक सर्वेक्षण में साफतौर पर सामने आया है कि देश में विपक्ष को लेकर आम लोगों में विश्वास की जबर्दस्त कमी है.
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विपक्ष कोरोना पर भी अपनी भूमिका से चूका
गौरतलब है कि सोमवार यानी 4 मई से कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के मद्देनजर लागू किए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का दो सप्ताह वाला तीसरा चरण कुछ रियायतों के साथ शुरू हो गया है. ऐसे में आईएएनएस/सी-वोटर के सर्वे में यह बात सामने आई है कि देश में विपक्ष को लेकर लोगों में विश्वास की कमी है. सर्वेक्षण में यह बात भी सामने आई कि विपक्ष कोविड-19 संक्रमण के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर अधिक हमलावर नहीं हुआ और उसने सुझाव व रचनात्मक तरीके से खुद को आलोचना तक ही सीमित रखा. इतनी कवायद के बावजूद भी वह नागरिकों का अधिक भरोसा हासिल नहीं कर सका.
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शहरी आबादी को विपक्ष पर नहीं भरोसा
सर्वेक्षण में कुल 19.4 प्रतिशत भाग लेने वालों ने विपक्ष पर 'पूर्ण विश्वास' जताया, जबकि 31.7 प्रतिशत ने बताया कि उन्हें विपक्ष पर 'कुछ विश्वास' है. वहीं, सर्वे में सामने आया कि 38.2 प्रतिशत लोगों को विपक्ष पर 'बिल्कुल भी भरोसा नहीं' है, जबकि 10.7 प्रतिशत लोगों की इस पर 'कोई राय नहीं' है. सर्वे बताता है कि 18.8 प्रतिशत ट्रस्ट डेफिसिट का नुकसान विपक्ष को देखना पड़ा है. 31 प्रतिशत के साथ विपक्ष पर सबसे कम विश्वास शहरी आबादी को है. इसके बाद 26.4 प्रतिशत के साथ अर्ध-नगरीय आबादी है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में 15.5 प्रतिशत लोगों ने ही विपक्ष में भरोसे की कमी दिखाई.
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अल्पसंख्यकों को नहीं यकीं पीएम मोदी पर
आईएएनएस/सी-वोटर ट्रैकर के अनुसार विपक्ष पर सबसे अधिक विश्वास अल्पसंख्यकों को है. हालांकि 24 प्रतिशत मुस्लिमों में विपक्ष के लिए विश्वास का अभाव है. इसके बाद 16.4 प्रतिशत और 4 प्रतिशत के साथ क्रमश: सिख और ईसाइयों को विपक्ष पर भरोसे की कमी है. बहुसंख्यक समुदाय को विपक्ष पर विश्वास नहीं है. 50.4 प्रतिशत के साथ उच्च जाति के हिंदू सरकार के समर्थन में दिखते हैं. वहीं 40 प्रतिशत ओबीस, 35.9 प्रतिशत एससी (अनुसूचित जातियों) और 38.3 प्रतिशत एसटी (अनुसूचित जनजातियों) को भी विपक्ष पर विश्वास नहीं है. विपक्ष के पास देश के पूर्वी हिस्से में 25.2 प्रतिशत के साथ विश्वास की कमी है, जबकि उत्तर में यह आंकड़ा 17.7 प्रतिशत है. वहीं, पश्चिम में ट्रस्ट डेफिसिट सबसे अधिक 35.2 प्रतिशत है. हालांकि दक्षिण में यह आंकड़ा 0.8 प्रतिशत है, जो विपक्ष के लिए कुछ राहत की बात है.