.

Pitru Paksha 2020: पितृ पक्ष में ऐसे करें पित्तरों का तर्पण, दोषों से मिलेगी मुक्ति

Pitru Paksha 2020: इस साल 1 सितंबर से पितृ पक्ष प्रारंभ हो रहे हैं और समाप्ति 17 सितंबर 2020 (Pitru Paksha Starting And Ending Date) को होगी.

News Nation Bureau
| Edited By :
23 Aug 2020, 06:11:17 PM (IST)

नई दिल्ली:

Pitru Paksha 2020: इस साल 1 सितंबर से पितृ पक्ष (Pitru Paksha) प्रारंभ हो रहे हैं और समाप्ति 17 सितंबर 2020 (Pitru Paksha Starting And Ending Date) को होगी. हिंदू धर्म के अनुसार, पितृ पक्ष पितरों का तर्पण (Pitru Tarpan) कर उनका आर्शीवाद लिया जाता है लेकिन कई लोग यह नहीं जानते हैं कि वह अपने घर पर पित्तरों का तर्पण कैसे करें. एक बात और, तर्पण उसी तिथि को करें, जिस तिथि को आपके पिताजी की मृत्‍यु हुई हो. जानें घर पर पितरों के तर्पण की विधि:

यह भी पढ़ें : Pitru Paksha 2020: इस साल पितृ पक्ष पर बन रहा है खास संयोग, 19 साल बाद लोग देखगें ये बड़ा परिवर्तन

पितृ तर्पण विधि (Pitru Tarpan Vidhi) 

  • पित्तरों का तर्पण करने वाले व्यक्ति को सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर नदी या सरोवर में स्नान करना चाहिए. इसके बाद बिना सिले वस्त्र धारण करने चाहिए.
  • स्‍नान के बाद लोटे में जल लें और उसमें गंगाजल, कच्चा दूध, जौ काला तिल, चावल, पीला चंदन डालें. कुशा से इन सभी को मिला लें.
  • इसके बाद दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके बैठकर दाएं हाथ के अंगूठे से कुशा को दबाएं.
  • बाएं हाथ से लोटे को पकड़कर दाएं हाथ पर तीन अंजूली जल डालें. पहली बार जल ब्रह्माजी, दूसरी बार भगवान विष्णु और तीसरी बार भगवान शिव के लिए होता है.
  • इसके बाद सात चिरंजीवियों को सात अंजूली जल दें. पहली अंजूली अश्वत्थामा, दूसरी अंजूली राजा बलि, तीसरी अंजूली व्यासजी, चौथी अंजूली हनुमानजी, पांचवी अंजूली विभीषणजी, छठी अंजूली कृपाचार्यजी और सातवीं अंजूली परशुरामजी के लिए होता है.

यह भी पढ़ें : पितृ पक्ष में जीवों की क्यों की जाती है सेवा, क्या है इसका महत्व, जानें

  • अपने मन में पितरों का ध्यान करें और उनका नाम, गोत्र, अपना नाम और अपने गोत्र का नाम लें. फिर तीन अंजूली जल उनके नाम अर्पित करें.
  • तर्पण के समय पितरों से प्रार्थना करें कि वे आपका तर्पण स्वीकार करें और आप पर कृपादृष्‍टि बनाए रखें.
  • फिर कुशा को उस पात्र में रख दें जिसमें आप लोटे का जल डाल रहे थे और सारे बचे हुए जल को पीपल के पेड़ के पास अर्पित कर दें.
  • इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन अवश्य कराएं और साथ ही उन्हें दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लें.
  • ब्राह्मणों में आप खानदान के भांजे को भी शामिल कर सकते हैं.