Pitru Paksha 2019: पितृ पक्ष में जीवों की क्यों की जाती है सेवा, क्या है इसका महत्व, जानें

वैदिक परंपरा और हिंदू मान्यताओं के अनुसार पितरों के लिए श्रद्धा से श्राद्ध करना एक महान और उत्कृष्ट कार्य है.

वैदिक परंपरा और हिंदू मान्यताओं के अनुसार पितरों के लिए श्रद्धा से श्राद्ध करना एक महान और उत्कृष्ट कार्य है.

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Aditi Sharma
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Pitru Paksha 2019: पितृ पक्ष में जीवों की क्यों की जाती है सेवा, क्या है इसका महत्व, जानें

पितृपक्ष के दौरान पशु-पक्षियों की सेवा करने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इन दिनों में हमारे पितृ जीव के रूप में धरती पर आते हैं और हमें आर्शीवाद देते हैं. इसलिए पितृपक्ष में जीवों की सेवा करना जरूरी होता है.

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बताया जाता है कि पितृपक्ष में हमारे पितृ गाय, कुत्ता, कौवा या चींटी के रूप में आकर हमें आर्शीवाद देते हैं. ऐसे में इन दिनों में इन जीवों को खाना खिलाया जाता है जो सीधा हमारे पितरों तक पहुंचता है. श्राद्ध के दौरान इनके लिए खाने का एक अंश पहले से निकाल दिया जाता है. इसके बगैर श्राद्ध पूरा नहीं माना जाता. इन चार जीवों के अलावा आहार का एक अंश देवताओं के लिए भी निकाला जाता है.

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इन जीवों की ही क्यों की जाती है सेवा

मान्यताओं के अनुसार कुत्ता जल तत्व का प्रतीक होता है. ऐसे ही चींटी अग्नि, कौवा वायु, गाय पृथ्वी और देवता आकाश तत्व का प्रतीक होते हैं. ऐसे इन पांचों को खाना देकर हम पंच तत्वों के प्रति आभार जताते हैं. इन पांचो में से गाय की सेवा का विशेष फल मिलता है. मान्यता है कि केवल गाय को चारा खिलाऩे से और उसकी सेवा करने से हीव पितरों को तृप्ति मिल जाती है.

बता दें, आश्विन कृष्णपक्ष की प्रतिपदा से शुरू होकर अमावस्या तक की अवधि को पितृपक्ष माना जाता है. वैदिक परंपरा और हिंदू मान्यताओं के अनुसार पितरों के लिए श्रद्धा से श्राद्ध करना एक महान और उत्कृष्ट कार्य है.

मान्यता के मुताबिक पुत्र का पुत्रत्व तभी सार्थक माना जाता है, जब वह अपने जीवन काल में जीवित माता-पिता की सेवा करे और उनके मरणोपरांत उनकी मृत्यु तिथि (बरसी) तथा महालय (पितृपक्ष) में उनका विधिवत श्राद्ध करें. मान्यता है कि पिंडदान करने से पुरखों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. बिहार के गया में पिंडदान का अपना खास महत्व है.

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गया में ही क्यों पिंडदान?

गया को विष्णु का नगर माना जाता है, जिसे लोग विष्णु पद के नाम से भी जानते हैं. यह मोक्ष की भूमि कहलाती है. विष्णु पुराण के अनुसार यहां पूर्ण श्रद्धा से पितरों का श्राद्ध करने से उन्हें मोक्ष मिलता है. मान्यता है कि गया में भगवान विष्णु स्वयं पितृ देवता के रूप में उपस्थित रहते हैं, इसलिए इसे पितृ तीर्थ भी कहते हैं.

गया में भगवान राम ने भी किया था पिंडदान

ऐसी मान्यताएं हैं कि त्रेता युग में भगवान राम, लक्ष्मण और सीता राजा दशरथ के पिंडदान के लिए यहीं आये थे और यही कारण है की आज पूरी दुनिया अपने पूर्वजों के मोक्ष के लिए आती है.

Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो

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