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Navratri 2020 : जानिए मां कात्यायनी के जन्म के पीछे की कथा, ये है पूजा का विधान

माता अपने भक्तों के प्रति अति उदार भाव रखती हैं और हर हाल में भक्तों की कामना पूरी करती हैं. देवी कात्यायनी का स्वरूप इसी बात को प्रकट करता है. माता के अनन्य भक्त थे ऋषि कात्यायन.

News Nation Bureau
| Edited By :
22 Oct 2020, 12:44:52 PM (IST)

नई दिल्ली:

नवरात्रि का आज छठवां दिन है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन मां कात्यायनी की पूजा का विधान है. मान्यता है कि माता अपने भक्तों के लिए उदार भाव रखती हैं और उनकी हर हाल में मनोकामनाएं पूरी करती हैं. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, मां कात्यायनी की कृपा से भक्तों के सभी मंगल कार्य पूरे होते हैं. देवी के इस स्‍वरूप की पूजा से कन्याओं को योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है और विवाह में आने वाली बाधाएं भी दूर होती हैं. माता कात्यायनी की उपासना से साधक इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है. साथ ही उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं.

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मां कात्यायनी के जन्म के पीछे की कथा
माता अपने भक्तों के प्रति अति उदार भाव रखती हैं और हर हाल में भक्तों की कामना पूरी करती हैं. देवी कात्यायनी का स्वरूप इसी बात को प्रकट करता है. माता के अनन्य भक्त थे ऋषि कात्यायन. इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर माता ने इनके घर पुत्री रूप में प्रकट होने का वरदान दिया. ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण देवी कात्यायनी कहलाईं.

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मां कात्यायनी के पूजा करने का विधान
देवी कात्यायनी की पूजा करते समय मंत्र ‘कंचनाभा वराभयं पद्मधरां मुकटोज्जवलां. स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनी नमोस्तुते.’ का जप करें. इसके बाद पूजा में गंगाजल, कलावा, नारियल, कलश, चावल, रोली, चुन्‍नी, अगरबत्ती, शहद, धूप, दीप और घी का प्रयोग करना चाहिए. माता की पूजा करने के बाद ध्यान पूर्वक पद्मासन में बैठकर देवी के इस मंत्र का मनोयोग से यथा संभव जप करना चाहिए. इस तरह माता की पूजा करना बड़ा ही फलदायी माना गया है.