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राष्ट्रपति चुनाव: दलित चेहरा रामनाथ कोविंद, राजभवन से रायसीना के रेस तक

News Nation Bureau New Delhi 19 June 2017, 04:36:39 PM
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रामनाथ कोविंद (फोटो-PTI)

देश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राष्ट्रपति पद के लिए बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है। कोविंद ने इतनी बड़ी जिम्मेदारी के लिए उन पर विश्वास जताने को लेकर प्रधानमंत्री तथा बीजेपी का शुक्रिया अदा किया।

रामनाथ कोविंद और पीएम मोदी (फोटो-PTI)

एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने सोमवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आवास पर मुलाकात की। बैठक में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष अमित शाह भी मौजूद थे।

रामनाथ कोविंद से मिले नीतीश कुमार (फोटो-PTI)

रामनाथ कोविंद के समर्थन पर विपक्षी नेताओं ने कहा कि 22 जून को फैसला लेंगे। कांग्रेस, टीएमसी, जेडीयू, समाजवादी पार्टी, जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और अन्य विपक्षी दलों ने कहा है कि वह 22 जून को विपक्षी दलों की बैठक में अंतिम फैसला लेगी।

रामनाथ कोविंद (फोटो-PTI)

वहीं केंद्र और महाराष्ट्र में बीजेपी की सहयोगी शिवसेना ने अभी तक रामनाथ कोविंद के नाम पर हामी नहीं भरी है। टीडीपी, टीआरएस, बीजेडी और एलजेपी ने कहा है कि वह रामनाथ कोविंद के नाम पर सहमत है।

रामनाथ कोविंद (फोटो-PTI)

रामनाथ कोविंद का राजनीतिक सफर लंबा रहा है। वह उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के रहने वाले हैं। पेशे से वकील कोविंद 1998 से 2002 तक भाजपा दलित मोर्चा के अध्यक्ष रहे हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रह चुके कोविंद दो बार राज्यसभा और संसदीय समिति के सदस्य भी रह चुके हैं।

रामनाथ कोविंद (फोटो-PTI)

कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर, 1945 को कानपुर देहात में डेरापुर तहसील के गांव परौख में हुआ। वह कोली जाति से हैं। उन्होंने संदलपुर ब्लॉक के गांव खानपुर में स्कूली शिक्षा ली। इसके बाद देश की सर्वोच्च सिविल सेवा की परीक्षा दी। लेकिन पहले और दूसरे प्रयास में असफल रहे। तीसरी बार में उन्होंने इम्तिहान पास कर लिया। कोविंद ने दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस की। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में वह सुप्रीम कोर्ट के जूनियर काउंसलर के पद पर रहे।

फाइल फोटो

वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के निजी सचिव कोविंद ही थे। इसके बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से ताल्लुक रखने वाले नेताओं ने जय प्रकाश नारायण की जनता पार्टी से अलग होकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) बना ली। कोविंद इस पार्टी जुड़ गए। पार्टी ने साल 1990 में घाटमपुर लोकसभा सीट से चुनाव के मैदान में उतारा, लेकिन चुनाव में उन्हें हार मिली। इसके बाद 2007 में उन्होंने भोगनीपुर सीट से चुनाव लड़ा, इसमें भी उन्हें हार मिली। कोविंद 1994 से 2000 तक उत्तर प्रदेश से बीजेपी के राज्यसभा सदस्य रहे।

रामनाथ कोविंद और पीएम मोदी (फोटो-PTI)

कोविंद की पहचान एक दलित चेहरे के रूप में अहम रही है। छात्र जीवन में कोविंद ने अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं के लिए काम किया। ऐसा कहा जाता है कि वकील रहने के दौरान कोविंद ने गरीब दलितों के लिए मुफ्त में कानूनी लड़ाई लड़ी। कोविंद गवर्नर्स ऑफ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के भी सदस्य रहे हैं। वर्ष 2002 में कोविंद ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया था। कोविंद ने कई देशों की यात्राएं भी की हैं।

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