आजादी की लड़ाई में पत्रकारिता को भी हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया.
डर गए अंग्रेजतमाम पत्र-पत्रिकाओं से डरकर अंग्रेजों ने उन पर रोक लगाई और दंड भी दिए. इन पत्रिकाओं में अंग्रेजों के खिलाफ ज्वलंत लेख व कविताएं छपती थीं.
पयामे आजादी पढ़ने पर रोकपयामे आजादी जैसे पत्र किसी के पास मिलने पर सजा दी जाती थी.
पत्रकारिता ने किया लोगों को जागरूक
यंग इंडिया, केसरी, उदंत मार्तंड, स्वराज, प्रदीप जैसे पत्रों ने लोगों को जागरूक किया.
पत्रकारिता ने किया लोगों को जागरूक
यंग इंडिया, केसरी, उदंत मार्तंड, स्वराज, प्रदीप जैसे पत्रों ने लोगों को जागरूक किया.
विदेशों में भी उठी आवाज
विदेशों में हिंदुस्तान गदर सहित तमाम पत्र-पत्रिकाएं भारतीयों ने निकालीं.
कई स्वतंत्रता सेनानी थे पत्रकार
महात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक, लाला हरदयाल जैसे तमाम स्वतंत्रता सेनानी पत्रकार थे.
कई स्वतंत्रता सेनानी थे पत्रकार
महात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक, लाला हरदयाल जैसे तमाम स्वतंत्रता सेनानी पत्रकार थे.
छुपकर निकालते थे पत्र
कई पत्र-पत्रिकाएं तो छुप-छुपकर निकाली जातीं थीं. उनके कलमकारों का नाम भी आज तक नहीं पता.
पहले पत्र पर भी लगीं बंदिशें
देश का पहला पत्र जेम्स अगस्त हिक्की ने निकाला. उन पर भी बंदिशें लगीं लेकिन भारतीय सेनानी इस नई विधा को अपनाने से पीछे नहीं हटे.
विभिन्न भाषा में निकले पत्र
अंग्रेजों के खिलाफ हिंदी, अंग्रेजी, उर्दु सहित क्षेत्रीय भाषाओं में भी पत्र निकाले गए.
विभिन्न भाषा में निकले पत्र
अंग्रेजों के खिलाफ हिंदी, अंग्रेजी, उर्दु सहित क्षेत्रीय भाषाओं में भी पत्र निकाले गए.
हर तरह के आंदोलन का हथियार
समाचार पत्र अहिंसक आंदोलनों ही नहीं, हथियारबंद क्रांतिकारियों के भी सहयोगी रहे.
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