कारों के शौकीन सुभाषचंद्र बोस नजरबंदी के दौरान अंग्रेजों को इस कार से चकमा देने में हुए थे सफल
आजाद हिंद फौज का गठन करके अंग्रेजों की नाक में दम करने वाले फ्रीडम फाइटर सुभाषचंद्र बोस का नाम भारतीय इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से लिखा गया है। आज यानि 23 जनवरी को सुभाषचंद्र बोस की 120 जयंती है।
देश की आजादी के लिए अलख जगाने वाले महानायक नेताजी के जीवन और मृत्यु से जुड़े कई ऐसे राज हैं, जिनसे आज भी लोग अनजान हैं।
हाल ही में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उस जर्मन कार को रवाना किया, जिसमें सवार होकर नेताजी कोलकाता स्थित अपने पैतृक आवास से 1941 में अंग्रेजों को चकमा देकर नजरबंदी से भागे थे। इस कार की मरम्मत की गई और प्रणव मुखर्जी ने इस कार में कुछ दूर तक सफर भी किया है।
नेताजी को कारों से बेहद लगाव था। कुछ ही लोग जानते हैं कि नेताजी कारों के बेहद शौकीन थे, लेकिन उन्होंने अपने जीवनकाल में कभी भी कोई कार नहीं खरीदी।
नेताजी बड़े भाई शरत बोस जो कारें खरीदते थे, नेताजी उन्हीं में बैठकर आया-जाया करते थे। शरत बोस को भी कारों का शौक था और उनके पास विलिज नाइट व फोर्ड समेत छह-सात कारें थीं।
ऑडी वांडरर डब्ल्यू-24 उन्हीं में से एक थी, जिसमें बैठकर नेताजी एल्गिन रोड स्थित अपने घर में नजरबंदी के दौरान अंग्रेजों को चकमा देकर निकले थे।
इस घटना को इतिहास में 'द ग्रेट एस्केप' के नाम से जाना जाता है। नेताजी के भतीजे डॉ. शिशिर बोस उस कार को चलाकर गोमो ले गए थे।
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