Birthday spl: राजकपूर की इस फिल्म में एक नहीं दो इंटरवल थे
हिंदी सिनेमा के 'शोमैन' दिवंगत प्रोड्यूसर-एक्टर-डायरेक्टर राज कपूर का आज यानी 14 दिसंबर को जन्मदिन है। पृथ्वी राज कपूर जैसी दिग्गज हस्ती के घर में जन्म लेने के बावजूद राज कपूर ने अपनी कड़ी मेहनत से अलग मुकाम बनाया। राज कपूर का फिल्म इंडस्ट्री में बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने बॉलीवुड में एक से बढ़कर एक सुपरहिट फिल्में दी हैं। पिता पृथ्वीराज कपूर ने उन्हें एक मंत्र दिया था कि 'राजू नीचे से शुरुआत करोगे तो ऊपर तक जाओगे'। पिता की बात को गांठ बांधने वाले राज कपूर ने फिर कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज हम आपको बताने जा रहे हैं, फिल्म जगत में अपने अभिनय से बेहतरीन छाप छोड़ने वाले राज कपूर की फिल्मों के बारे में।
राजकूपर ने 17 साल की उम्र में रंजीत मूवीकॉम और बॉम्बे टॉकीज फिल्म प्रोडक्शन कंपनी में स्पॉटब्वॉय का काम शुरू किया था। नामचीन निर्देशकों में शुमार केदार शर्मा की एक फिल्म में क्लैपर ब्वॉय के तौर पर काम करते हुए राज कपूर को अपनी एक गलती के लिये केदार शर्मा से थप्पड़ भी खाना पड़ा था। इस घटना के बाद से तो राज कपूर के सितारें बुलंदी पर थे। इसके बाद केदार शर्मा ने ही राज कपूर को अपनी फिल्म 'नीलकमल' में लीड रोल में कास्ट किया था।
'मेरा नाम जोकर' मूवी को अद्वितीय इसलिए कहा जाता है, यह हर दौर में नई ही लगती है। यह भारत की सबसे आइकॉनिक फिल्मों में से एक है। कहा जाता है कि फिल्म का विषय इतना गहरा है कि यह पहली हिंदी फिल्म थी जिसमें दो इंटरवल किए गए। और यह फिल्म साढ़े 4 घंटे लंबी है।
राजकपूर ने बॉलीवुड में श्री 420, आवारा, बेवफा, आशियाना, अंबर, अनहोनी, पापी, आह, धुन, बूट पॉलिश' जैसी कई फिल्में दी हैं। इन फिल्मों के गीत आज भी युवा पीढ़ी को आप गुनगुनाते हुए देख सकते हैं। इसमें 'श्री 420' फिल्म का गाना 'प्यार हुआ इकरार हुआ' आज भी लोगों की पसंद में शुमार है।
अभिनेता को 1960 में फिल्म 'अनाड़ी' और 1962 में 'जिस देश में गंगा बहती है' के लिए बेस्ट एक्टर के फिल्मफेयर अवॉर्ड से भी नवाजा गया।
इसके अलावा उन्हें 1965 में 'संगम', 1970 में 'मेरा नाम जोकर' और 1983 में 'प्रेम रोग' के लिए उन्हें बेस्ट डायरेक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला था।
राज कपूर को सफेद साड़ी से बेहद लगाव था। राज कपूर ने अपनी फिल्मों में काम करने वाली हीरोइनों नरगिस, पद्मिनी, वैजयंतीमाला, जीनत अमान और मंदाकिनी को सफेद साड़ी पहनाई। यहां तक कि घर में उनकी पत्नी कृष्णा भी हमेशा सफेद साड़ी ही पहना करती थीं।
भारत सरकार ने राज कपूर को इंडस्ट्री में उनके अपूर्व योगदान के लिए 1971 में 'पद्मभूषण' से सम्मनित किया था। साल 1987 में उन्हें सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान 'दादा साहब फाल्के पुरस्कार' भी दिया गया। राज कपूर को एक अवार्ड समारोह के दौरान दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद वह एक महीने तक अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ते रहे। आखिरकार, 2 जून 1988 को वह दुनिया को अलविदा कह करके चले गये।
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