मुंबई की पहली महिला बस ड्राइवर, सुनिए प्रतिक्षा की कहानी उन्हीं की जुबानी
सपनो की नगरी मुंबई की रहने वाली 24 वर्षीय प्रतीक्षा दास एक ऐसी पहली महिला है जो बेस्ट बस चला सकती है. इस बस को चलाने के लिए उन्हें लाइसेंस भी मिल चुका है.
नई दिल्ली:
आज भले ही देश में महिलाओं के प्रति लगातार अपराध बढ़ रहा है लेकिन फिर भी वो घर की दहलीज पार कर के अपना मुकाम बना रही है. अब ऐसा कोई काम नहीं है जिसमें महिलाओं ने अपनी भागीदारी दर्ज नहीं करवाई है. खेल, फिल्म, मीडिया, बिजनेस, राजनीति से लेकर वो चांद तक पहुंची है. यहां तक वक्त आने पर वो इससे इतर हर छोटे-बड़े पेशा में हाथ आजमा रही है, जिसे अब तक सिर्फ पुरुष करते आए हैं. तो आज हम आपको ऐसी ही एक महिला की कहानी बताने जा रहे है, जिन्होंने समाज के रुढ़ीवाद को तोड़ा है. सपनो की नगरी मुंबई की रहने वाली 24 वर्षीय प्रतीक्षा दास एक ऐसी पहली महिला है जो बेस्ट बस चला सकती है. इस बस को चलाने के लिए उन्हें लाइसेंस भी मिल चुका है.
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एक अंग्रेजी मीडिया के मुताबिक, प्रतिक्षा ने मेकैनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है, जिसके बाद वो रीजनल ट्रांसपोर्ट अधिकारी बनना चाहती थी. लेकिन इसके लिए उन्हें भारी गाड़ियां चलाना था इसलिए प्रतिक्षा ने गोरेगांव बस डिपो में बेस्ट बस चलाने की ट्रेनिंग लेनी पड़ी.
पहली महिला बेस्ट बस ड्राइवर बनने पर प्रतिक्षा ने बताया, 'मैं पिछले 6 सालों से इसमें मास्टर बनना चाहती थी. भारी गाड़ियों से मेरा प्यार काफी पुराना है. मैंने सबसे पहले बाइक फिर बड़ी कारें और अब बस, ट्रक चला रही हूं. मुझे काफी अच्छा लगता है.'
उन्होंने ये कहा, ' मैं सड़क पर अलग-अलग गाड़ियों को चलाना चाहती हूं। मैं जब आठवीं कक्षा में पढ़ती थी तब मैंने अपने मामा की बाइक चलाना शुरू किया था. मैंने दो दिनों में घुड़सवारी भी सीखी थी.'
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प्रतिक्षा ने बताया, 'ट्रेनिंग के वक्त उनके ट्रेनर्स टेंशन में रहते थे कि कैसे एक महिला बस चला सकती है. क्योंकि कार की स्टीयरिंग के मुकाबले बस की स्टीयरिंग काफी मुश्किल होती है. उनके ट्रेनर्स बार-बार पूछा करते थे- 'ये लड़की चला पाएगी या नहीं.'
उन्होंने ये भी कहा, 'कौन कहता है कि महिलाएं ड्राइवर की सीट पर नहीं हो सकती हैं? मैंने इसका सपना देखा और मैं आज यहां हूं. यह बेहद खास है और मैं इसका पिछले साल से इंतजार कर रही थी. असल में, हर एक व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है, उसे बस धुन होनी चाहिए.'
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प्रतिक्षा दास बताती है कि लोग मेरी हाइट को देखकर बोलते थे कि वह बहुत छोटी है क्या बस चला पाएगी? इस सवाल को याद करते हुए उन्होंने कहा, 'लोग मेरी 5.4 इंच की ऊंचाई का जिक्र करते रहे और मैंने कर दिखाया.'
प्रतिक्षा उन महिलाओं के लिए सबसे बड़ा उदाहारण है जो समाज और लोगों के बताए गए अपनी कमी की वजह से हताश बैठे रहते है. उन महिला, लड़कियों को भी समाज की बेतुकी बातों को अनदेखा करते हुए अपने मन का काम करना चाहिए. खुद पर विश्वास करते हुए आप भी प्रतिक्षा की तरह समाज की बेड़ियों को हुए अपने पसंद का काम करिए.