AAP विधायकों को अयोग्य ठहराने का राष्ट्रपति का फैसला तुगलकशाही : यशवंत सिन्हा
आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द किए जाने को लेकर चल रही सियासत एवं आरोप-प्रत्यारोप के बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने राष्ट्रपति के फैसले पर सवाल उठाया है।
highlights
- बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने आप विधायकों की सदस्यता रद्द किए जाने के राष्ट्रपति के फैसले पर सवाल उठाया है
- सिन्हा ने राष्ट्रपति के आप के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने की निर्वाचन आयोग की सिफारिश को मंजूरी देने को 'तुगलकशाही' करार दिया
नई दिल्ली:
आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द किए जाने को लेकर चल रही सियासत एवं आरोप-प्रत्यारोप के बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने राष्ट्रपति के फैसले पर सवाल उठाया है।
सिन्हा ने रविवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने की निर्वाचन आयोग की सिफारिश को मंजूरी देने को 'तुगलकशाही' करार दिया।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'आप के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने का राष्ट्रपति का फैसला नैसर्गिक न्याय को पूर्ण रूप से निष्फल बनाना है। कोई सुनवाई नहीं, उच्च न्यायालय के आदेश का कोई इंतजार नहीं। यह बदतरीन किस्म की तुगलकशाही है।'
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कोविंद की मंजूरी के बाद, केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की जिसमें कहा गया कि राष्ट्रपति ने दिल्ली विधानसभा के 20 सदस्यों को
दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार अधिनियम (जीएनसीटीडी) के तहत अयोग्य ठहराया है।
निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को आप के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने की सिफारिश की थी। इन सभी पर बतौर संसदीय सचिव लाभ के पद पर आसीन होने के आरोप लगाए गए थे।
आयोग ने राष्ट्रपति को अपना सुझाव वकील प्रशांत पटेल की शिकायत पर दिया था। हिंदू लीगल सेल के सदस्य पटेल ने जून 2015 में संसदीय सचिवों की नियुक्ति को अवैध ठहराते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के समक्ष याचिका दाखिल की थी।
पटेल द्वारा दाखिल शिकायत में कहा गया कि जरनैल सिंह समेत आप के 21 विधायकों को दिल्ली सरकार में मंत्रियों के लिए संसदीय सचिव नियुक्त करके संविधान का उल्लंघन किया गया था। जरनैल सिंह ने पिछले साल पंजाब विधानसभा चुनाव में भाग लेने के लिए राजौरी गार्डन सीट से इस्तीफा दे दिया था।
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