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Wrestlers Protest: हरिद्वार से लौटे पहलवान, नरेश टिकैत ने गंगा में मेडल बहाने से रोका, 5 दिन का मांगा समय

कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ बीते कई दिनों से पहलवान धरने पर बैठे हैं, आज वे अपनी मांगों को लेकर मेडल्स गंगा में विसर्जित करने वाले थे.

News Nation Bureau
| Edited By :
30 May 2023, 10:23:27 PM (IST)

highlights

  • बातचीत के बाद पहलवानों ने सभी मेडल्स उन्हें दे दिए
  • पहलवान हरिद्वार पहुंचे तो भावुक हो गए थे
  • मेडल्स को बहाने का ऐलान पहले ही कर दिया गया था

नई दिल्ली:

रेस्लिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ बीते कई दिनों से धरने पर बैठे पहलवानों ने मंगलवार को हरिद्वार जाकर गंगा में मेडल को बहाने का फैसला टाल दिया. हालांकि मेडल्स को बहाने का ऐलान पहले ही कर दिया गया था. विरोध कर रहे इन पहलवानों में प्रमुख रूप से साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट शामिल हैं. पहलवानों ने हरिद्वार के हर की पौड़ी में जाकर घाट पर विरोध प्रदर्शन किया. यहां पर विवाद को सुलझाने के लिए किसान नेता नरेश टिकैत पहुंचे. उन्होंने पहलवानों को समझाया कि यह मेडल्स देश की आनबान हैं. बातचीत के बाद पहलवानों ने सभी मेडल्स उन्हें दे दिए. 

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हालांकि पहलवानों ने पहले ही ऐलान कर दिया कि अब वे इंडिया गेट पर प्रदर्शन करेंगे. जब पहलवान हरिद्वार पहुंचे तो भावुक हो गए थे. इस बीच पहलवान घाट पर बैठे रोते हुए दिखाई दिए. वहीं कुछ पहलवान उने ढांढस बंधाते हुए दिखे. ये पदक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीते गए थे. इन्हें आज वे गंगा के हवाले करने जा रहे थे. 

इससे पहले हरिद्वार के एसएसपी अजय सिंह ने अपने बयान में कहा कि पहलवानों का हरिद्वार में स्वागत है. उन्होंने कहा कि अगर रेसलर्स यहां पर अपने मेडल्स बहाना चाहते हैं तो वे उन्हें रोकेंगे नहीं. उन्होंने कहा कि उन्हें इस विषय में अपने सीनियर्स की ओर किसी तरह का आदेश नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि लोग मां गंगा में सोना, चांदी और अस्थियां बहाते हैं. ऐसे में पहलवान भी अपने मेडल्स को बहा सकते हैं. 

किसान नेता नरेश टिकैत ने कहा कि पूरी भारतीय सरकार एक आदमी (WFI प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह) को बचा रही है. कल एक खाप बैठक होगी. उन्होंने पहलवानों से पांच दिन का समय मांगा है. उन्हे अपने पदकों को विसर्जित करने से रोका दिया है.  

 

19:59 (IST)

पहलवानों से मेडल लेकर उनसे पांच दिन का समय मांगा

नरेश टिकैत हरिद्वार पहुंचे, जहां पर पहलवान यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर डब्ल्यूएफआई प्रमुख और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के विरोध के रूप में गंगा नदी में अपने पदक विसर्जित करने के लिए यहां पर पहुंचे. उन्होंने पहलवानों से मेडल लेकर उनसे पांच दिन का समय मांगा है. 

 

19:40 (IST)

गंगा में बहाने की बजाए सीधे राष्ट्रपति को सौंप दें

राकेश टिकैत का कहना है कि पहलवानों को मनाने की कोशिश जारी है. उन्होंने कहा कि नरेश  टिकैत हरिद्वार पहुंच गए हैं। वे पहलवानों से बात करेंगे. राकेश टिकैत के अनुसार, हमारा प्रयास है कि पहलवानों को वापस लाया जाए. अगर उन्हें मेडल को नहीं रखना है तो वे इसे गंगा में बहाने की बजाए सीधे राष्ट्रपति को सौंप दें.

18:28 (IST)

मेडल बहाने से पहले रो पड़े रेसलर्स

हरकी पौड़ी पर रेसलर्स पहुंच चुके हैं. यहां पर मौजूद विनेश फोगाट और साक्षी मलिक की आंखे आंसू आ गए. दोनों गंगा किनारे बैठकर फूट फूटकर रोईं. कुछ ही देर में पहलवान गंगा में बहा सकते हैं मेडल. 

18:08 (IST)

गंगा सभा का दावा, नहीं बहाने दिए जाएंगे मेडल 

हरिद्वार में पहलवानों के मेडिल विसर्जित करने को लेकर गंगा सभा विरोध करेगी. गंगा सभा हरिद्वार के अध्यक्ष नितिन गौतम के अनुसार, यदि रेसलर यहां आकर मेडल विसर्जित करते हैं तो गंगा सभा उन्हें रोकेगी. इस दौरान उन्होंने कहा ​कि यह गंगा को क्षेत्र है.यहां लोग रोज पूजा करने पहुंचते हैं.  यह कोई जंतर-मंतर नहीं, न ही कोई राजनीति का अखाड़ा है। हम उनका पूरा सम्मान करते हैं. रेसलर यहां पर गंगा आरती में शामिल हो सकते हैं.

17:43 (IST)

कोर्ट में 6 जुलाई को सुनवाई 

यौन उत्पीड़न से जुड़े बृजभूषण शरण सिंह के मामले में एमपी एमएलए कोर्ट से पॉक्सो कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग वाली याचिका पर छह जुलाई को सुनवाई होनी है. इस मामले में कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और दिल्ली सरकार के प्रिंसिपल सेक्रटरी को ​नोटिस दिया है. 

 

17:35 (IST)

पहलवानों ने कहा, मेडल गंगा में बह जाने के बाद हमारे जीने का कोई उद्देश्य नहीं

पहलवानों ने कहा कि लोगों को ये सोचना होगा कि वे किसके साथ खड़े हैं। मेडल हमारी शान है। हमारी आत्मा है। इनके गंगा में बह जाने के बाद हमारे जीने का कोई उद्देश्य नहीं रहेगा। ऐसे में हम इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठेंगे। इंडिया गेट हमारे उन शहीदों का स्थान है। जहां देश लिए उन्होंने अपनी देह त्याग दी। हम उनकी पवित्रता से तुलना नहीं कर सकते, मगर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलते समय हमारी भावना उन सैनिकों की तरह है।