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भारत के आंतरिक मामलो में दखलअंदाजी न करें पड़ोसी देश- वेंकैया नायडु

देश के उपराष्ट्रपति एम वैंकया नायडु ने पड़ोसी देशों समेत सभी दूसरे देशों को भारत के आंतरिक मामलों में दखलअंदाजी न करने की सलाह दी है.

News Nation Bureau
| Edited By :
06 Aug 2020, 03:56:56 PM (IST)

नई दिल्ली:

देश के उपराष्ट्रपति एम वैंकया नायडु ने पड़ोसी देशों समेत सभी दूसरे देशों को भारत के आंतरिक मामलों में दखलअंदाजी न करने की सलाह दी है. इसी के साथ उन्होंने कहा है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने का फैसला बड़े हितों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. 

बता दें नायडु का ये बयान ऐसे समय में सामने आया है जब भारत से अनुच्छेद 370 के हटाए जाने को एक साल पूरा हो गया है. वहीं दूसरी तरफ इस मसले के अंतरराष्ट्रीयकरण के पाकिस्तान के प्रयास को फिर से बड़ा झटका लगा है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने एक बार फिर जोर देकर कहा है कि यह मसला भारत-पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मसला है. यूएनएससी की बुधवार को हुई बैठक में लगभग सभी देशों ने एकसुर में कहा कि जम्मू-कश्मीर सुरक्षा परिषद का समय और ध्यान पाने वाला मसला नहीं है. इस बात की जानकारी संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने दी.

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फिर की थी जम्मू-कश्मीर पर बहस की मांग

पाकिस्तान ने एक पत्र के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र में इस मसले पर बहस की मांग की थी. कूटनीतिज्ञों को मानना है कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने की वर्षगांठ पर पाकिस्तान ने अपने सदाबहार दोस्त चीन की शह पर यह कदम उठाया था. हालांकि इस बार पाकिस्तान की इस मांग को इंडोनेशिया का भी समर्थन प्राप्त था. यह अलग बात है कि बंद दरवाजों के पीछे हुई बैठक का कोई रिकॉर्ड तक नहीं रखा जाएगा. पाकिस्तान की इससे बड़ी किरकिरी और कुछ नहीं हो सकती कि उसकी मांग को खारिज कर उसे दस्तावेज में भी शामिल नहीं किया जाए.

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एक झूठ सौ बार बोलने से सच नहीं हो जाता

कश्मीर के द्विपक्षीय मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के पाकिस्तान के लगातार प्रयास के लिए उसकी निंदा करते हुए एक शीर्ष भारतीय राजनयिक ने कहा कि ‘एक झूठ को सौ बार बोलने से वह सच नहीं हो जाता.’ संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस त्रिमूर्ति ने पीटीआई से कहा, ‘पाकिस्तान ने जो दावा किया है उसके विपरीत उसने जम्मू कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र का एजेंडा बनाने का प्रयास किया. पाकिस्तान द्वारा द्विपक्षीय मुद्दों का अंतरराष्ट्रीयकरण करना कोई नयी बात नहीं है.’