.

ट्रिपल तलाक मुद्दे पर वेंकैया नायडू ने चेताया, कहा- मुस्लिम ख़ुद खत्म करे, नहीं तो सरकार बनाएगी कानून

ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसला को सुरक्षित रखे जाने के बाद केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि अगर मुस्लिम समुदाय ट्रिपल तलाक को बदलने में विफल रहता है तो सरकार इसे खत्म करने के लिए कानून ला सकती है।

News Nation Bureau
| Edited By :
21 May 2017, 10:58:48 AM (IST)

highlights

  • वेंकैया ने चेताया, मुस्लिम खत्म करे ट्रिपल तलाक, वरना कानूनन बैन करेगी सरकार
  • ट्रिपल तलाक पर सुनवाई के बाद SC की संवैधानिक पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है

New Delhi:

ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसला को सुरक्षित रखे जाने के बाद केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि अगर मुस्लिम समुदाय ट्रिपल तलाक को बदलने में विफल रहता है तो सरकार कानून बनाकर इसे खत्म कर देगी।

नायडू ने कहा, 'अगर मुस्लिम समुदाय ट्रिपल तलाक की परंपरा को खत्म करने में विफल रहता है तो सरकार इसके लिए कानून ला सकती है।'

नायडू ने कहा कि यह किसी के निजी मामले में हस्तक्षेप करना नहीं है बल्कि महिलाओं के लिए न्याय का सवाल है और कानून के समक्ष समानता का मुद्दा है।

नायडू का यह बयान सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ में लगातार छह दिनों तक ट्रिपल तलाक पर चली सुनवाई के खत्म होने के बाद आया है। सभी संबंधित पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है।

और पढ़ें- एआईएमपीएलबी ने कहा, 'महिलाएं तीन तलाक से निकलने का विकल्प चुन सकती हैं'

सुप्रीम कोर्ट में चली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि अगर कोर्ट ट्रिपल तलाक की प्रथा को खत्म करता है तो केंद्र सरकार इस मामले में कानून लाएगा, वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बॉर्ड ने ट्रिपल तलाक को आस्था का मसला बताते हुए कोर्ट को इससे दूर रहने की सलाह दी थी।

रोहतगी ने कहा कि यह मामला बहुसंख्यक बनाम अल्पसंख्यक का नहीं है बल्कि यह मुस्लिम समुदाय के बीच का ही मामला है।

इसके बाद कोर्ट ने पूछा कि अगर तीन तलाक को रद्द कर दिया जाता है तो क्या होगा। इस पर जवाब देते हुए अटॉर्नी जनरल ने कहा कि अगर कोर्ट ऐसा फैसला देता है तो सरकार कानून लाने को तैयार है।

ये भी पढ़ें- SC में केंद्र सरकार ने कहा ट्रिपल तलाक अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक का मामला नहीं, महिलाओं के हित के लिए लड़ाई