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पाकिस्तान से लौटे हजरत निजामुद्दीन के मौलवियों को सुब्रह्मण्यम स्वामी ने बताया झूठा, कहा- मेरे पास है जानकारी, दोनों देश के खिलाफ कर रहे थे काम

पाक के एक अखबार में दोनों मौलवियों के बारे में रॉ का एजेंट होनी की बात छपी थी।

News Nation Bureau
| Edited By :
20 Mar 2017, 05:11:25 PM (IST)

नई दिल्ली:

पाकिस्तान से लापता हुए दो भारतीय मौलवियों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सोमवार को बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि दोनों मौलवी देश के खिलाफ काम कर रहे थे। वहीं भारत लौटने के बाद दोनों मौलवी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से भी मिले।  

मौलवियों के पाकिस्तान में खोने की बात पर स्वामी ने कहा, 'वो अपने बचाव और सहानुभूति के लिए झूठ बोल रहे हैं। उनका पाकिस्तान जाना और वहां की तथाकथिक निर्वाचित सरकार का कहना कि उन्हें इस बारे में कुछ पता नहीं था, तो फिर ये इतने दिन आईएसआई के साथ क्या कर रहे थे? हम उग्रवादी और आतंकी की बात पर कैसे विश्वास कर सकते हैं कि वो एजेंट नहीं हैं। मेरे पास जानकारी है, उसके अनुसार ये लोग हमारे देश के खिलाफ काम कर रहे थे।'

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भारत लौटकर दोनों मौलवी सुषमा स्वराज से मिले। इसके बाद नाजिम निजामी ने कहा, 'मैं पाकिस्तान फिर जाऊंगा, फिर पैगाम-ए-मोहब्बत लेकर जाऊंगा और डंके की चोट पर जाऊंगा।' वहीं आसिफ निजामी ने कहा, 'वह बाबा फरीदगंज के तीर्थस्थान पर दुआ मांगने गए थे। वहां दाता दरबार भी गए। हमें वीआईपी कमरे में रखा गया। इसके बाद एसएचओ ने मेरी जानकारी ली।'

Main Pakistan phir jaaunga, phir paigaam-e-mohabbat le kar jaaunga aur danke ki chot jaaunga: Nazim Nizami who had gone missing in Pakistan. pic.twitter.com/ZS0f8aKjYS

— ANI (@ANI_news) March 20, 2017

गौरतलब है कि सैयद आसिफ निजामी (82) अपनी बहन से मिलने आठ मार्च को भतीजे नाजिम अली निजामी (66) के साथ पाकिस्तान गए थे। इसके बाद दोनों लापता हो गए थे। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस मामले को लेकर पाकिस्तान से बात की और लापता मौलवियों के बारे में जानकारी मांगी। 20 मार्च को दोनों मौलवियों को सुरक्षित भारत लाया गया। उन्होंने पाकिस्तानी मीडिया में जारी उन खबरों का खंडन किया है, जिनमें कहा गया था कि उन्हें जासूसी के आरोप में वहां हिरासत में लिया गया था।

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पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, यह दोनों सिंध प्रांत के बेहद अंदरूनी इलाके में थे, जहां संचार की सुविधा आसानी से उपलब्ध नहीं है। इसलिए वह अपने रिश्तेदारों को सूचना नहीं दे सके थे। जबकि पाक में ही उम्मत नाम के एक अखबार में उन दोनों के बारे में रॉ का एजेंट होनी की बात छपी थी।

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