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केजरीवाल को चुनाव आयोग से बड़ा झटका, AAP के 20 MLA अयोग्य घोषित

दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) को चुनाव आयोग से बड़ा झटका लगा है। लाभ के पद के मामले में चुनाव आयोग ने शुक्रवार को 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी।

News Nation Bureau
| Edited By :
19 Jan 2018, 05:06:38 PM (IST)

highlights

  • चुनाव आयोग ने AAP के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की
  • चुनाव आयोग ने EC को भेजी सिफारिश, राष्ट्रपति निर्वाचन आयोग की सिफारिश के आधार पर कार्रवाई करने के लिए बाध्य हैं
  • 20 विधायकों की सदस्यता रद्द होने के बावजूद केजरीवाल सरकार पर नहीं आएगा संकट

नई दिल्ली:

दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) को चुनाव आयोग से बड़ा झटका लगा है। लाभ के पद के मामले में चुनाव आयोग ने शुक्रवार को 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी।

सूत्रों के मुताबिक, चुनाव आयोग ने सदस्यता रद्द करने संबंधी सिफारिश राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेज दी है। संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति निर्वाचन आयोग की सिफारिश के आधार पर कार्रवाई करने के लिए बाध्य हैं।

कांग्रेस द्वारा जून 2016 में की गई एक शिकायत पर निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रपति को अपनी राय दे दी है।

राष्ट्रपति को सिफारिश भेजे जाने की रिपोर्ट पर चुनाव आयोग (ईसी) ने सफाई दी है। ईसी ने कहा, 'आम आदमी पार्टी विधायकों की सिफारिश का मामला विचाराधीन है, राष्ट्रपति को भेजी गई सिफारिश पर हम अभी कुछ भी प्रतक्रिया नहीं दे सकते।'

आपको बता दें कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने मार्च 2015 में 21 विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किया था। जिसको प्रशांत पटेल नाम के एक वकील ने लाभ का पद बताकर राष्ट्रपति के पास शिकायत करके 21 विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग की थी।

जिसके बाद चुनाव आयोग ने आप के 21 विधायकों को कारण बताओ नोटिस दिया था। 21 विधायकों में से जनरैल सिंह ने जनवरी में पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए राजौरी गार्डन सीट से इस्तीफा दे दिया था। अब 20 विधायकों की योग्यता पर अगला फैसला राष्ट्रपति लेंगे।

साल 2015 के मार्च में आप सरकार दिल्ली की विधानसभा में दिल्ली विधानसभा सदस्य (अयोग्य निवारण) अधिनियम 1997 पारित किया था, जिसमें संसदीय सचिव के पद को 'लाभ के पद' की परिभाषा से बाहर रख दिया था और यह कानून पिछली तिथि से लागू किया था।

हालांकि तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस कानून को अपनी सहमति नहीं दी। इसके बाद इन नियुक्तियों को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा 2016 के सितंबर में अवैध घोषित करते हुए रद्द कर दिया गया, क्योंकि यह आदेश 'लेफ्टिनेंट गवर्नर की सहमति/अनुमोदन के बिना' पारित किया गया था।

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सरकार पर संकट नहीं

आपको बता दें कि दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों में से 67 सीटों पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है और सरकार बनाने के लिए 36 सीटें चाहिए।

ऐसे में अगर 20 विधायकों की सदस्यता रद्द हो जाती है, तो भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सरकार चलाने में किसी भी तरह की संवैधानिक संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।

20 विधायकों के अयोग्य घोषित होने के बाद 'आप' के पास 47 सीटें बचेगी। दो विधायकों कपिल मिश्रा और तिमारपुर के विधायक पंकज पुष्कर के बागी रुख अपनाने पर 45 सीटें बचेगी। जो सरकार बचाने के लिए काफी है।