.

भारत-पाक तनाव के बीच चुनाव के रणनीतिकार माने जाने वाले JDU नेता प्रशांत किशोर ने कह दी ये बातें

जनता दल (JDU) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने गुरूवार को कहा कि सोशल मीडिया पर अंधराष्ट्रभक्ति, नासमझी में युद्ध की बात किए जाने को बहादुरी के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए.

News Nation Bureau
| Edited By :
01 Mar 2019, 12:17:41 PM (IST)

नई दिल्ली:

पुलवामा हमले में शहीद हुए 40 जवानों के शहादत का बदला लेते हुए 26 फरवरी को भारत की वायुसेना ने पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक2 किया था. जिसके बाद पाकिस्तान ने भारतीय वायुसेना क्षेत्र में एलओसी सीमा का उल्लघंन करते हुए घुसपैठ शुरू कर दी थी. हालांकि बहादुर जवानों ने इस जंगी जहाज पर हमला कर के उसे नष्ट कर दिया था. लेकिन इसके बाद से ही दोनों देश की बीच युद्ध की स्थिति पैदा हो गई है. सीमा से लेकर देश के कई राज्यों में तनाव का माहौल देख जा रहा है. इस बीच आम जनता से लेकर नेता और राजनेता तक सोशल मीडिया पर युद्ध को 'ना' (SayNoToWar) कहने का कैंपेन चला रहे हैं. अब इस अभियान में राजनीतिक रणनीतिकार और जनता दल यूनाइटेड (JDU) नेता प्रशांत किशोर भी शामिल हो गए है.

जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने गुरूवार को कहा कि सोशल मीडिया पर अंधराष्ट्रभक्ति, नासमझी में युद्ध की बात किए जाने को बहादुरी के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए. प्रशांत ने गुरुवार को ट्वीट किया कि 'युद्ध को ना' कहना कायरता नहीं है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी किसी भी युद्ध के विरूद्ध थे और वो निश्चित रूप से कोई कायर नहीं थे. असल में वे उन सबसे बहादुर लोगों में से एक थे, जिन्हें मानवता ने अबतक देखा है. सोशल मीडिया पर अंधराष्ट्रभक्ति, नासमझी में युद्ध की बात किए जाने को बहादुरी नहीं समझा जाना चाहिए.

प्रशांत ने कल ट्वीट करके कहा कि भारत को केवल एक अभिनंदन को वापस लाने की जरूरत है. बाकी सबके लिये इंतजार किया सकता है. 'युद्ध को ना' कहने के प्रति समझदार बनें.

बता दें कि 2014 में प्रशांत किशोर (prashant kishor) पीएम नरेंद्र मोदी के चुनावी अभियान की कमान संभाली थी. लेकिन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मतभेद होने की वजह से जेडीयू का दामन थामा और जेडीयू के लिए काम करने लगे.

और पढ़ें: #Welcome Abhinandan: आज शाम 5 बजे तक लौटेंगे वीर जांबाज विंग कमांडर अभिनंदन, वाघा बॉर्डर पर जोर-शोर से चल रहीं स्‍वागत की तैयारियां

साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाई. 2015 में जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनाने में अहम रोल निभाया. इसके बाद प्रशांत किशोर (prashant kishor) कांग्रेस के लिए भी काम किया. 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी के पंजाब और उत्तर प्रदेश में चुनावी अभियान में वो कांग्रेस के साथ जुड़े.